अकेले चलने में बुराई क्या है ?
कि जब हुआ अकेले आना
और जाना भी है अकेले
तो फिर क्या सोचना
कि ये तन्हाई क्या है
अकेले चलने में बुराई क्या है ?
कि जब सिंधु में ही है गोता लगाना
और छिपे सागर के मोती
को खुद ही सतह तक लाना
तो फिर क्या सोचना
कि सागर कि गहराई क्या है
अकेले चलने में बुराई क्या है?
कि जब इंतज़ार है हर किसी को
कि कोई राह दिखायेगा
बुझे हुए दीपक की लौ
कोई फिर सुलगायेगा
तो फिर हर दो कदम पर रुक कर
ये अंगड़ाई क्या है
अकेले चलने में बुराई क्या है?
कि जब पल भर में यहाँ
रिश्ते बदल जाते हैं
जिन्हें थे अपना समझते
वे कहीं और नज़र आते हैं
तो फिर क्या सोचना
कि इन रिश्तों कि कमाई क्या है
अकेले चलने में बुराई क्या है?
कि जब सुनसान राहों पर
कोई साथ नहीं दिखता
पकड़ ले कस के जो हाथों को
वो हाथ नहीं दिखता
तो राही चल अकेले और नाप ले
नभ की भी ऊंचाई क्या है
अकेले चलने में बुराई क्या है?
………..अभय………..
Deep thought 👍
Akele chalne m koi burai nahi h.
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Thank you ☺️
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beautiful.
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Thank you ☺️
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👌👌👌👌👌
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🙏
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वाह , बहुत खूब 👍
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अजय जी धन्यवाद 🙏
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🤗🙏🤗🙏🤗🙏
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बहुत ही अच्छी तरह से आपने अपनी भावनाये कविता के माध्यम से प्रस्तुत की है |
मेरा यह मनना है की, हमें अपने विचारो और भद्र व्यवहार के माध्यम से समाज मे बदलाओ और साधुता लाने का प्रयास करना चाहिए | अब येह कार्य हम अकेले करे या जान आंदोलन के माध्यम से, ये एक व्यक्तिगत निर्णय है |
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धन्यवाद और आभार आपका। आज के समय में साधुता शब्द बहुत ही प्रासंगिक है।
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Wonderful.every line is true in life.
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Pleasure to know that you felt it the way I wanted the readers to feel.
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Welcome dear.keep writing..!
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अकेले चलने में बुराई क्या है। कि जब हुआ – – – – – – ।इस लाइन से हम भी सहमत हैं। लेकिन तन्हाई में अकेले – – -। से सहमत नहीं हूं। अकेले चलने में बुराई नहीं है पर तन्हाई में चलना बुरा है। वैसे इस कविता को पढ़ने से लगता है रिश्ते नाते से काफी चोट खाए हैं। मेरी कविता जिंदगी की आशा और जिंदगी की आशा क्या है। पढकर बताईगा कैसा लगा। मेरी इस कविता में खूनी रिश्तों के अलावा भी एक दुनिया है – – – – – – – – – – – – – – – ।
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हा हा चोट… 😂, मैं अपनी कविताओं में जीवन के विभिन्न आयामों को शामिल करने का प्रयास करता हूँ , ऎसा आवश्यक नहीं कि मेरी कविताएं मेरे जीवन का परावर्तन हो। और वैसे भी यह कविता उत्साहवर्धन के लिए है कि जब भी परिस्थिति विपरीत हो तो भी हमें सतत चलना चाहिए, अकेले भी हो तो भी. आप मेरी दूसरी कविताओं को भी, मौका मिलने से, पढिये 😊
आपकी कविता मैं जरूर पढकर प्रतिक्रिया दूंगा।
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माफी चाहूंगी अगर कुछ गलत कह दिया हो तो। मेरा भी उद्देश्य तन्हाई से बाहर निकालना था। यदि ऐसा नहीं है तो यह खुशी की बात है।
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अरे नहीं कुछ भी गलत नहीं कहा आपने, आप मेरी कविताओं के सबसे बड़े प्रशंसकों में से एक है, आपकी हरेक प्रतिक्रिया सिर आंखों पर…. 😁
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