अनन्त नामों में से कुछ..

krishna
Credit: ISKCON

सनातन धर्म में चार युग बताये गए हैं. सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग. अलग-अलग युगों में ईश्वर प्राप्ति की अलग अलग विधियों का वर्णन है. सतयुग में ध्यान, त्रेता में यज्ञ, द्वापर में अरचा विग्रह(मूर्ति पूजा) और इस कलयुग में यदि भव सागर को पार करना है, तो भगवान का नाम ही एक मात्र उपाय है.

भगवान के अनन्त नाम हैं, और हर नाम का कोई अर्थ. मैं उन नामों को देख रहा था और सोचा कि क्यों न इनको एक स्वर दिया जाये. पढ़िए और भगवान का स्मरण कीजिये.

अनन्त नामों में से कुछ…

केशव माधव मदन मुरारी
दयानिधि द्वारकाधीश बिहारी

यशोदानंदन मदनमोहन
देवकीनंदन घनश्याम

मुरलीधर श्याम मनोहर
मधुसूदन बलराम

विश्वरूप वासुदेव विश्वनाथ
जगद्गुरु जयन्ताह श्रीजगन्नाथ

लक्ष्मीकांत कंजलोचन
कमलनयन श्रीराम

अचल अजन्मा आदिदेव
पद्महस्ता परमपुरुष हिरण्यगर्भ

कृष्ण कन्हैया गोवर्धनधारी
मधुसूदन हरी मुरलीधारी

 

……….अभय………..

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25 thoughts on “अनन्त नामों में से कुछ..”

  1. जय श्री कृष्ण अभय जी…बहुत अच्छी पोस्ट! साधुबाद आपको हिन्दू संस्कृति के महवपूर्ण बात शेयर करने के लिए!💐

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    1. हरे कृष्ण, अब हम लोगों को ही इस संस्कृति को आगे ले जाना है, आप भी हिन्दी लेखों के माध्यम से अच्छा काम कर रही हैं। आपको भी शुभकामनाएं।

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        1. सही भी है , पर मैं आजकल माहौल कुछ ऐसा बना है कि आप अंग्रेज़ी के उपयोग से ही बुध्दिजीवी कहलाते हैं। 😀

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          1. जी बिल्कुल सही कह रहे आप अजय जी!
            अजी! क्या कम पढ़ा और लिखा हैं अँग्रेजी की अब भी उसी के पीछे दौड़ लगा लूँ…कुछ तो अपनी मर्ज़ी और संस्कृति को ध्यान रखना चाहिए…जब फॉरेनर हिंदी नहीं लिख रहे तो हम अंगेजी क्यों लिखें😏

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            1. हा हा, सही। पर मैं इस बात का भी पक्षधर हूँ कि आवश्यकता पड़ने से, जिन्हें हिंदी नहीं आती है, उन्हें अंग्रेज़ी में ही अपनी संस्कृति की महत्ता बतानी चाहिए।

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              1. जी…मुझे अँगेजी से दिक्कत नहीं क्योंकि पढ़ाई तो उसमें हीं कर के आज इस काबिल बनी हूँ की कुछ सोच समझ सकती हूँ!

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                1. आप हिन्दी में भी पढ़ के उस काबिल बन सकती थी 😜😜
                  मैंनें तो हिन्दी में ही पढ़ाई की, पर ठीक ठाक सोच समझ लेता हूँ 😂

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  2. आपने कृष्ण के अनन्त नामो काफी अच्छे से वर्णन किया है। साहित्य के प्रति और हिंदी के प्रति लगाव देखकर बहुत ही अच्छा लगता है। आपने किसी commentsमे निराला जी का नाम लिया था। निराला जी की रचना रामकी शक्ति पूजा और सरोज स्मृति पढा है बहुत अच्छी रचना है

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    1. रजनी जी धन्यवाद! हिन्दी में मेरी खासी रूचि है।
      निराला जी, दिनकर जी हिंदी साहित्य के स्तंभ हैं और प्रेरणा के श्रोत भी।

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