
जी लें आज को…
डूबे हो क्यों अतीत में ,
फिर से आता क्या वो कल है!
हँसना तुम आज में सीख लो
जो है बस यही पल है..
कल हुए सफल तो उसका
कब तक तुम जश्न मनाओगे
या किसी बिगड़ी बातों से हो आहात
कब तक अश्क़ बहाओगे
जो बीती सो बात गयी
कब आगे को कदम बढ़ाओगे
आज में , हर-रोज उभरते हैं प्रश्न नए
हर दिन मिलता उनका हल है!
हँसना तुम आज में सीख लो
जो है बस यही पल है..
कभी अतीत से निकल भविष्य में
खुद को हम ले जाते
मन मुताबिक सुन्दर सा
सपनों का महल सजाते
पर दिवा स्वपन तो व्यर्थ है होता
न ही मिलता उससे कोई फल है
जो है केवल पुरुषार्थ आज का
होता इसमें ही बल है!
हँसना तुम आज में सीख लो
जो है बस यही पल है..
वर्तमान में रह कर ही तो
मंज़िल कइयों ने पायी है
जीवन रूपी इस नैय्या ने
जाने कितने सागर पर लगायी है!
बीते हुए कल को छोड़ो
भविष्य में क्या होगा! इससे मुह मोड़ो
अनुभव करो इस वर्तमान को
पीकर देखो, होता इसका मीठा कितना जल है
हँसना तुम आज में सीख लो
जो है बस यही पल है..
………अभय………
अभय जी हमेशा की तरह दिल को छू के गयीं ये…👌👌👌👍💐
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धन्यवाद ज्योति जी.. ☺️
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जो है केवल पुरुषार्थ आज का
होता इसमें ही बल है!
हँसना तुम आज में सीख लो
जो है बस यही पल है..
उत्तम अति उत्तम , श्रेष्ठ पंक्तिया , मन मोह लिया आपकी रचना ने 🤗🤗🤗🤗🙏
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आपकी ही प्रतिक्रिया का इंतजार था, चलिये अच्छा लगा कि आपको पसंद आया।
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हा हा हा , आपने दिल न याद किया होगा वरना कब के आ गए होते जनाब 😜😜😜🙏
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Friday को हम सिर्फ Saturday और Sunday को दिल से याद करते हैं 😜
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हा हा हा ,बहुत खूब जनाब , ये भी खूब रही आपकी बात 😉
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वेसे भी आपकी लेखनी में वो धार हे की जबाब लिखने में भी घण्टो लग जाते हे सोचना पड़ता है किन शब्दो में प्रतिकिर्या दूँ
सब कुछ तो आप लिख देते हो हमारे लिए छोड़ते ही कहाँ हो आप अभय जी 🤗🙏
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अहम अहम, ये कुछ ज्यादा ही हो गया 😜
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ना ना ना , भाई सच बात में अहम न वहम , न कुछ ज्यादा !
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🙏🙏
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🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🙏
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सच बात ये हे कि कभी कभी किसी की भी चाहे आप की ही रचना पढ़ने के बाद मन में आता है किन शब्दो में प्रतिकिर्या व्यक्त करू , क्यों कि जो लिखा होता है न वो बहुत शानदार और दिल को छूने वाला होता है इस लिये जी
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सत्य लिखा है आपने पर हमारा मन हमेशा हसीन सपनो में खोया रहता है जिससे हम आज को वर्तमान को भूल जाते हे यही भूल हो जाती है हम जैसे इंसान से 👍🤗🙏
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कविताओं को लिखने में तब मजा आता है जब पाठक उसे खुद से से जोड़ पाते हैं
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जी सही बात है दिल से पढ़े और तब प्रतिकिर्या अच्छा लगता है
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👍👍
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जनाब आप फेसबुक पर भी होंगे तो जरा अपना पता वता बता दो फेसबुक का ?
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ना, नहीं हूँ अभी ☺️
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जी साधुवाद
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☺️
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WordPress पर भी कुछ ही दिनों से सक्रिय हुआ हूँ, देखते हैं यह कब तक चलता है .. ☺️
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जी कोई बात नही , टाइम निकाल कर आते रहा करो , 🤗🙏🙏🙏🙏
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जरूर अजय जी, आशीष बनाये रखें ☺️
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🙏🙏🙏🙏🤗🤗🤗🤗🤗🙏🙏
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Zindagi do pal ki… Jee le zara…. Beautiful lines!!
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Thanks mate ☺️
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Nice
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☺️
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अभय , यह बहुत ही खुबसूरत कविता है.
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धन्यवाद रेखा जी… 🙂
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कल हुए सफल तो उसका
कब तक तुम जश्न मनाओगे
या किसी बिगड़ी बातों से हो आहात
कब तक अश्क़ बहाओगे
जो बीती सो बात गयी
कब आगे को कदम बढ़ाओगे
आज में , हर-रोज उभरते हैं प्रश्न नए
हर दिन मिलता उनका हल है!
हँसना तुम आज में सीख लो
जो है बस यही पल है..
ek ek panktiya lajwab …….bahut hi khubsurti se likha hai aapne…..
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Shukriya..
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