आज कल के भागा दौड़ी वाले समय में मुझे संदेह है कि बहुत कम व्यक्ति होंगे जो रोज सूर्योदय देखते हैं. खासकर युवा वर्ग की नींद तो सूर्योदय के बाद ही खुलती है, ऐसा मैं मानता हूँ. पर मैं यह नहीं कह रहा कि सभी युवा सूर्योदय के बाद ही उठते हैं .
आज सुबह सुबह का अनुभव आप सब से साझा कर रहा हूँ. वैसे तो बसंत का मौषम ही बड़ा सुहावना होता है. सुबह में तो कुछ और ही ज़्यादा. जब ठंडी ठंडी पवन शरीर को छूती है, आम के मंज़र की खुशबु से मन प्रशन्न हो जाता है, कोयल की कुहू, और जब आप उसके स्वर की नक़ल करो तो उसका लगातार दुहराना, मन को मोहित कर जाता है.
तो आज जब मैं उठा तो सोचा कि कुछ टहल लिया जाये. अभी सूरज निकला नहीं थी तो वातावरण में अँधेरा व्यप्त था. मुझे नदी, तालाब या झील का तट बहुत अच्छा लगता है. और एक नदी घर के कुछ ही दूरी पर है तो उधर हो चला. साथ में फ़ोन और ईयरफ़ोन भी ले लिया. मेरे म्यूजिक प्लेयर में कुछ गीत थे, पर रिलायंस जिओ ने एक काम अच्छा किया है की डेटा की अब चिंता नहीं करनी पड़ती है और आप गाना ऑनलाइन सुन सकते हो. जितनी मर्जी उतनी.
तो मैंने ganna.com पर क्लासिकल भजन टाइप किया और कान में ईयरफ़ोन लगा कर घर से निकला. फिर जो भजन मैंने सुना उससे मंत्रमुग्ध हो गया. वह भजन पंडित भीम सेन जोशी ने गायी थी. उनके स्वर में जादू था. मैं आपको बताऊँ तो मैंने वह भजन सुबह से अब तक १५-२० बार से ज़्यादा सुनी पर फिर भी मेरा मन नहीं भरा. इस भजन की सबसे अच्छी बात मुझे इसकी बोल लगी, हरेक शब्द में भाव, हरेक शब्द का अर्थ. आज कल के गीत की तरह नहीं, बिना मतलब का, फूहर…
तो सोचा की आप सब तक भी पहुंचा दूं. हो सकता है आप में से कइयों ने सुनी होगी, और यदि नहीं सुनी तो आप जरूर सुनियेगा. हो सके तो सुबह सुबह सूर्योदय से पहले, खुले में, ईयरफ़ोन लगा के, तेज स्वर में.
मैंने थोड़ी खोज-बीन की तो YouTube पर मुझे मिला, लिंक शेयर कर रहा हूँ. एल्बम का नाम है “कृष्ण कहिये राम जपिये” . इस एल्बम की हरेक गीत बहुत मधुर र और सुन्दर हैं पर “कृष्ण कृष्णा कहिये उठी भोर” का जवाब नहीं , पर यहाँ यह दो भाग में है .एक साथ सुनियेगा तो और भी मज़ा आएगा
मैं इस भजन का transcript भी ब्लॉग पर शेयर कर रहा हूँ जिससे बोल समझने में आसानी होगी.
कृष्ण कृष्ण कहिये उठी भोर…
कृष्ण कृष्ण कहिये उठी भोर
भोर किरण के साथ कृष्णा कह
वन में नाचे मोर
पक्षी के कलरव में वंदन
वंदन लहरें करती
वंदन करती बहे समीरें
गायें हैं पग भरतीं
कृष्ण कृष्ण कह पुत्र जग के माता होये विभोर
गुन गुन कर के कृष्ण कृष्ण कहे
भँवरे डोल रहे हैं
कृष्ण कृष्ण कह कमल पुष्प सब
पंखुड़ी खोल रहे हैं
वंदन की आभा फैली हैं
देखो चारो ओर
फूल टूट के धरा पे बिखरे
इसी भांति है वंदन
दूब के मुख पर ओस पड़ी है
महक उठा है चन्दन
कोयल कूक के वंदन करती
हंस करे किलोर .
बताना मत भूलियेगा की कैसी लगी 🙂
बहुत ही अच्छा भजन है। आज कल के अधिकतर बच्चे सूर्योदय नहीं देख पाते हैं। आपने बहुत ही सही लिखा है।
LikeLiked by 3 people
धन्यवाद, कि आपने इसको सुना ..:)
LikeLiked by 1 person
जय श्री कृष्ण ,जय श्री राम
LikeLiked by 2 people
बहुत बहुत सुंदर प्रस्तुति, आज के युवा बचे हैं जो भीम सेन जोशिजी के भजन सुनते हैं यह पढ़कर ही शांति की अनुभूति हुई । अभय आपको साधुवाद
LikeLiked by 2 people
आज के संगीत में voice तो रहती नहीं है, रहती है तो सिर्फ noise. पर हमारे सामने उस गीतों की प्रस्तुति इस तरह होती है कि हमारी आदत हो जाती है वैसे गाने सुनने की और एक बार जो आदत बन जाती है उसको बदलना तो मुश्किल है ना…:)
LikeLiked by 1 person
बिलकुल सही , मुझे स्वयं भी आजे के शोरगुल गली गलोच वाले गाने नहीं पसंद , क्लासिकल तो नहीं पर मेरे पसंदीदा हेमंत कुमार , रफ़ी , लाता के गाने हैं । मीठे और सुरीले मन को शांति प्रदान करने वाले । भजन में सिर्फ़ M . S. Subalaxmiजी के सुनती हूँ
LikeLiked by 1 person
हा हा, काफी वैचारिक समानता ☺️
आप पंडित जसराज जी को भी सुन सकते हैं।
LikeLiked by 1 person
Ji bilkul
LikeLiked by 1 person
सही कहा बहुत दिन हो गए हैं सूर्योदय के पहले उठे हुए…वैसे भजन अच्छे हैं…आज सुने थे..😊
LikeLiked by 1 person
चलो अच्छा है कि आपने सुना और अच्छे भी लगे। ☺️
LikeLiked by 1 person
Beautiful description in poetry!:)
LikeLiked by 1 person
Thank you ☺️
LikeLiked by 1 person
Beautiful description and poetry!:)
LikeLiked by 1 person