गरीबी क्या होती है ??

 

आज शनिवार की छुट्टी थी, तो घर पर ही पड़ा था दिन भर. साढ़े 4 या 5 बजे होंगे, घड़ी नहीं  देखी थी . मेरी चचेरी बहन, जो 5 साल की है, सोकर उठी और ब्रश करने लगी. मैं और माँ हैरान हो गए, कि लोग सुबह और रात को ब्रश करते हैं, ये शाम में ही शुरू हो गयी. मैंने पूछा कि छोटी तुम अभी ब्रश क्यों कर रही हो? उसने बोला, “बड़ा भैया, आज गुड मॉर्निंग नहीं बोले आप”.
मैं और माँ को बहुत हंसी आयी और सारा खेल समझ आ गया. दोपहर में काफी लंबे समय तक सोने के बाद शाम भी उसे सुबह जैसी लग रही थी और वैसे तो उसको रोज जबरदस्ती करके स्कूल के लिए तैयार करना पड़ता है और वो आज खुद तैयार हो रही थी. माँ से पता चला कि मैंने भी बचपन में एक दो बार ऐसी हरकत की  थी. बचपन होती ही ऐसी है, है ना ?
तभी मेरे नाम से कोई पुकारने लगा,पापा ने बताया कि अन्नू (मेरे बचपन का दोस्त, लड़का ही है :-P) मिलने आया है. हम बहुत अच्छे दोस्त हैं, पर बहुत दिनों से मुलाकात नहीं हो पायी थी. बहुत दिन मतलब 5-6 साल. वह कहीँ और रहता है. मैंने उसे घर में बुलाया. अब शाम रात में बदल रही थी और किसी तरह छोटी को  भरोसा हो पाया कि यह सुबह नहीं, बल्कि शाम ही था.
मैंने दो चेयर लिया और अन्नू को  छत पर चलने को कहा. छत पर शांति भी थी और हवा भी अच्छी चल रही थी. बहुत सारी बातें हुई. नयी-पुरानी. बात चीत के क्रम में उसने बताया कि वह कल अपने किसी संबंधी के बारात में गया था, पर वह मुझे थोड़ा उदास सा लग रहा था. मैंने पूछा कि भाई सब ठीक तो है. उसने बोला कि हाँ सब मस्त है. पर मुझे वह मस्त कहीं से भी नहीं लग रहा था. मुझे याद है कि हम दोनों काफी करीबी दोस्त हुआ करते थे . हम अपनी लगभग सारी बातें एक दूसरे से साझा करते थे. पर अब समय काफी बीत गया था. मैंने फिर से पूछा कि भाई सब सही में अच्छा है ना?
उसने कहा, अच्छा एक बात बताओ ये “गरीबी क्या है”? मैं गरीबी क्या है, को परिभाषित कर सकता था, पर इस प्रश्न के लिए तैयार नहीं था, तो थोड़ा हिचकिचाने लगा और जो समझ आया बोला.

 

उसने कहा “कल कि एक घटना सुनोगे”? मेरे मन में बहुत अलग अलग विचार आ रहे थे. सोचने लगा कि शायद इन बीते दिनों वह शायद किसी बड़े आर्थिक संकट से गुजरा होगा. मुझे सोचता देख उसने झट से कहा, तुम्हे यह अजीब लग रहा हो पर मुझे तुम्हारे अलावा इसको शेयर करने वाला कोई और योग्य  नहीं मिला. मैंने कहा तुम सुनाओ घटना.
उसने शुरू किया. अब उसके शब्द ..
कल रात में मेरे सम्बंधित के घर से 8-9 बजे के करीब बारात निकली. मैं बहुत उत्साहित थे क्योंकि बहुत दिन हो गए थे किसी बारात में गए. माहौल भी बहुत अच्छा था, सबके चेहरे पर ख़ुशी, सबके चेहरे मुस्कुरा रहे थे, कोई जोक क्रैक कर रहा था तो कोई नए कपड़ों में तस्वीर लेने में व्यस्त था. दूल्हा, कार में पीछे, उसके आगे बारात. बारात के दोनों तरफ लाइट लिए हुए पंक्ति में बैंड बाजे वाले चल रहे थे. जैसा कि किसी भी अन्य भारतीय बारात में होता है. बीच में बैंड बाजे वाले अपने बाजे गाजे के साथ बारात में सामान्यतः बजने वाले गीत बज रहे थे.

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Representative Image, Source: Google.

चुकि, मुझे नाचना आता नहीं और नाचने में  शर्म भी आती है तो मैं बस भीड़ में खड़ा देख रहा था, पर यह भी सच है कि गानों के धुन पर पैर थिरक रहे थे . तभी मेरी नजर एक बैंड बाजे वाले कि तरफ पड़ी. वह मुँह से फूक कर बजने वाला इंस्ट्रूमेंट (नाम नहीं पता, नीचे की तस्वीर में देखिये ) बजा रहा था और उसकी आँखों से आंसू आ रहे थे. मैं विचलित हो गया. मन तो किया कि उससे पूंछू कि क्या हुआ पर क्योंकि  वह बजाने में व्यस्त था और उसके चुप होने से सारे बाराती, जो सब नाचने में व्यस्त थे, का ध्यान उधर आता. मैंने सोचा कि हो सकता है वह नया होगा और बजाने में शक्ति तो लगती होगी, इस वजह से आंसू आ गए हों.  पर अचानक से बारात के बीच में से किसी ने आवाज़ लगायी अरे!!  ज़ोर से बजा… जोर से.. मेरे यार कि शादी है….और कुछ देर बाद एक नवयुवक (जो मुझे नशे में लगा) गाली गलौज पर उतर आया और कहने लगा पैसे दिए हैं जोर से बजा जोर से, दुबारा ये शादी नहीं होगी…

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Representative Image, source: Google

तभी उस बाजे वाले जिसके आँखों  से आंसू बह रहा था उसकी इंस्ट्रूमेंट किसी और बाजे वाले ने ले ली और उसके हाथ में छन-छन करने वाली झालर पकड़ा दी. मैंने सोचा चलो ठीक है. पर मेरा ध्यान उसपर ही था. बीच बीच में मैं इधर उधर होता पर मेरा ध्यान पता नहीं क्यों उसपर ही टिका रहा. कुछ देर बाद देखा तो वह रो ही रहा था. अब तो मैं बस बारात पहुँचने का इंतज़ार करने लगा।

 

जल्द ही बारात पहुंची और मैं सीधे उसके पास. 35-40 के बीच में उसकी उम्र होगी. मैंने पूछा, क्या हुआ भैया कोई तकलीफ. वो चेहरे का रंग गिरगिट कि तरह बदल के बोला “नहीं नहीं बाबू कोई बात नहीं . हो सकता है कि उसने सोचा हो कि मैं उसकी क्लास लूंगा.  पर मैंने फिर उससे पूछा कि  बजाते समय रो क्यों रहे थे. अब मानो कि उसके दर्द की  बाँध टूट गयी हो. वो फबक कर रोने लगा और बोला “बाबू  मेरा बेटा कल गुजर गया . वह 15 साल का था. डॉक्टर बाबू बोले रहे कि ठीक हो जायेगा, 17 दिन तक इलाज भी होता रहा, महाजन से 35 हजार कर्जा भी लिए पर वह कल गुजर गया गया. मैं यहाँ बैंड बाजा बजा रहा हूँ, झाल बजा रहा हूँ… आकाश में पठाखे देख रहा हूँ… लोग नाच रहें हैं… मेरा बेटा मर गया….
इसी बीच मेरे एक संबंधी, जो शायद सिगरेट पीने बहार आये थे,  ने मुझे वहाँ देखा और बोले चलो अंदर यहाँ क्या कर रहे हो..मैंने बोला आप चलिए मैं बस आता हूँ. उसकी व्यथा सुनकर उसके दर्द का आंकलन करने में भी मैं असमर्थ था . मैंने पूछा,  तो आज आये क्यों? उसने बोला बाबू  गरीबी लाती है खींच के, हम कहाँ आते हैं. कर्जा चुकाना होगा महाजन का 35,000 का 6 महीना बाद 50,000 लेगा. हम कहाँ से पैसा लाएंगे. दिन भर मजदूरी किये, ये बारात का मौषम बार बार नहीं आता है. चला गया तो बहुत दिन बाद आता है. बेटा चला गया पर घर में दो बेटी है, पत्नी है, काम नहीं करेंगे तो खाना भी मुश्किल होगा.
मेरी आँखे भर आयी. मुझे लग ही नहीं रहा था कि मैं बारात में आया हूँ. पॉकेट में हाथ डाला 1500 निकले, उसके हाथ में थमाने लगा. पहले तो उसने बहुत मना किया पर मैंने शादी कि बख्शीस बता के दे दी. उसने आशीर्वाद में कुछ बोल बोले, मैंने ध्यान से सुना नहीं मेरे मन में बस एक ही बात चल रही थी…बेटा खो गया और उसको बैंड बजाना पड़ रहा है, झाल बजाने पड़ रहे हैं, लोगों को नाचता देखना पड़ रहा है, पटाखे जलाते देखने पड़ रहे हैं…

 

उसने कहा “अभय, गरीबी कुछ और नहीं, यही है” और कह कर चुप हो गया. घटना पूरी तरह झकझोरने वाली थी. और जिस तरह मेरे दोस्त ने वर्णन किया वह भी अद्वितीय था. मुझे उसपर गर्व हुआ कि उसने दर्द को देखकर अपना चेहरा नहीं फेरा. वह आज भी पहले की  तरह था, मुझे खुद पर संदेह हुआ कि क्या मुझे अब लोगों का कष्ट नहीं दीखता.

 

तभी माँ हमारे लिए गर्म-गर्म समोसे और इमली की चटनी बना के लायी. मैंने अपने दोस्त को  देखा उसने मुझे और फिर उसने  समोसे को उठाया. वह मुस्कुरा रहा था. माँ ने पूछा समोसे कैसे बने हैं ……

90 thoughts on “गरीबी क्या होती है ??”

  1. अभय…शब्द नही हैं मेरे पास की कुछ कह पाऊं मैं…बहुत अच्छे से आपने सब वर्णन किया हैं…hats off👍👍👍

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  2. 😓😓😓😓आंसू रोक नहीं पाया क्योंकि ये शायद सच है जो हर रोज अलग अलग रूप में अलग अलग लोगों के साथ होता है जिसे में भी देखता हूं और महससू भी करता हूँ मदद नहीं कर पाता अफ़सोस भी करता हूँ शायद वो दिन भी आयेगा जब में भी मदद कर पाउँगा

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    1. मेरे लेख का उद्देश्य इसी भाव को जगाना था। धन्यवाद जो आपने पढ़ा।

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      1. उत्कृष्ट लेखन !
        कभी कभी भाव होते हैं मगर साधन नहीं होते और कहीं साधन होते हैं मगर लोग भावविहीन होते हैं

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        1. वाह क्या खुब कही आपने। मेरे लेख में केवल लोगों के भाव को छूने का प्रयास था।

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            1. और एक बात, भाव से साधन का जुगाड़ हो सकता है, पर साधन, भाव का श्रृजन नहीं कर सकती।

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              1. अर्ध सत्य !
                ये बात पूर्णतया सत्य होती अगर साधन जैसी कोई वस्तु नही होती और साथ में कलयुग ना होता

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    1. Oh, sorry for the tears. But I just wanted to entice readers emotions and let them to see what’s happening around us through my write up. Humanity as a whole has to stand up if we want to end the evils of poverty.
      Thank you for reading the post.

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  3. It is rare to come across real stories like this one when the world around us is so apathetic. The feelings, the emotions and the kind considerations are very powerfully and sentimentally expressed in this true episode. This kind of writing is service to the humanity. Keep it up,dear.

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    1. Ahh sorry sir, it’s not the so real. some part is inspired by an event, which I encountered and other is out my imagination. That is why I mentioned it in the fiction category. Over all the purpose was to drag the readers view towards the multitudes of problems faced by fellow humans and if, in some way, we can feel their agony, some of us would definitely rise to change the status quo.

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  4. अभय जी , दुनियां का सबसे बड़ा अभिशाप हे गरीबी ,जो न करवाये वो कम …
    पढ़कर ऐसा लगा की सब सामने घटित हो रहा है ,
    लिखने में बहुत मेहनत की हे आपने 😑😑😑😑

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      1. सुधार कर लिया भाई। रिव्यू के लिए धन्यवाद। मुझे हिन्दी टाइपिंग नहीं आती, एक साफ्टवेयर उपयोग करता हूँ English to Hindi converter. कुछ गलतियाँ रह जाती हैं। संशोधन के लिए धन्यवाद। इसमें बुरा क्या मानना 😀

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  5. आपने बहुत अच्छा लिखा है। गरीबी ——–।बहुत ही अच्छे से चित्रण किया है। किसी ने ठीक ही कहा कि निन्दक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाय। गल्ती निकालने का उद्देश्य सुधार करने के लिए होता है। सुधार करना असान है। किसी गलती को सुधारने के लिए लिखने के बाद पढ़कर पब्लिश करना चाहिए। उसके बाद भी गलती रह जाती है तो एडिट में जाकर कभी भी सही कर दोबारा सही किया जा सकता है।

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    1. रजनी जी , मेने न तो आपकी बात का न अभय जी के समर्थन वाली बात का बुरा माना है , हो सकता है में आपके कमेन्ट का सही जबाब न पाया हूँ , पर नाराज नही हूँ , आप दोनों मेरे मित्र हे , मित्र भगवान की एक अनमोल धरोहर होती है तो उनसे नाराजगी नही हो सकती ! माफ़ी चाहता हूँ अगर समय पर आपके किसी कमेन्ट का जबाब न दे पाया हूँ तो 🙏
      अच्छा और सच्चा मित्र वही हे जो अपने मित्र की किसी भी त्रुटि को सही समय पर अवगत कराये , उसके लिए आप दोनों का में दिल से धन्यवाद देना चाहता हूँ 🙏 मेने कोशिश की थी शायद वो कमेन्ट पब्लिश् न हो पाया 😑

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        1. कन्फ्यूजन नही अभय जी , एक पोस्ट पर रजनी जी ने मेरे कुछ शब्द गलत थे रजनी जी ने बताया था , पोस्ट डिलीट कर मेने दुवारा पोस्ट की थी , बस यही कन्फ्यूजन हुआ , उनकी बात मेने मानी थी ,पता नही कहाँ गलती हुई 🤗🤗🤗🤗🙏

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          1. अरे कोई बात नहीं, गलती तो सबसे हो जाती है, और ब्लॉग लेखन कोई साहित्य की परीक्षा नहीं है। यहाँ हम अपने मनोभाव को लिखते हैं। पर गलती न हो इसका प्रयास रहना चाहिए। कई बार गलती के कारण अर्थ के अनर्थ निकल जाते हैं। रजनी जी ने भी ठीक ही किया कि आपको बता दिया। नम्रता के साथ सुधार किजीए और आगे बढिये और अपनी बेहतरीन रचना को जग तक आने दीजिए। जिन्हें background पता नहीं है, वे सोच रहे होंगे कि आखिर चल क्या रहा है 😜

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                1. रजनी जी , माफ़ी किस बात की , गलती बताना और गलती पर डाँटना आपका हक है आप बड़ी हो , और जब बहन कहा है तो बहन का फर्ज होता है भाई को डाँटना , आपने गलती बताई उसके लिए आपका धन्यवाद बहन , माफ़ी मेरे तरफ से कान पकड़ माफ़ कर देना , प्लीज मुझे आपका छोटा भाई हूँ 🙏🙏🙏

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                  1. मैंने गलती के लिए माफी नहीं मांगी वल्कि मैंने अभय जी – – – – – – – – – – ।उसके लिए माफी मांगी है। खैर छोड़िये इस बात को नये रिस्ते के साथ सुबह की शुरुआत करते हैं। सुप्रभात आप सभी को।

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                  2. चलिए कुछ बता कर बहन का फर्ज अदा करती हूं। गल्ती सुधारने के लिए पूरी पोस्ट को डिलीट करने की आवश्यकता नहीं होती बल्कि एडिट में जाकर गलती सुधार कर दोबारा पब्लिश करने पर सही हो जाता है। और मुझे बता दें कि नया पोस्ट जो आप लोग करते हैं उसको कैसे देखते हैं। मुझे फालो वर्स में जाना पड़ता है। जिससे समय से आपलोगों की रचनाएँ पढ़ने से वंचित रह जाती हूँ वैसे किसी ने ब्लॉग पर बताया था कि ईमेल चेक करना चाहिए पर मैंने आफिस का ईमेल आईडी डाला है इसलिए सम्भव नहीं हो पाता।

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                    1. जी , में भी नया हूँ wordpress पर , अच्छी समझ नही है इस सॉफ्टवेयर को चलाने की , और दूसरी बात दीदी में कोई प्रोफेसनल राइटर नही हूँ टाइम पास के लिए लिखता हूँ , जो मन में आता है लिख देता हूँ कोशिश करता हूँ की किसी की नकल हो किसी को हर्ट न करे मेरी बात , सच पूछो तो दीदी मुझे कविता लिखने की abc भी नही आती , पोस्ट तो में ईमेल से ही देखता हूँ !

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                    2. अरे आप दोनों के भैया बहन के प्रेम को देख ऐसा लग रहा है, राखी पहले न आ जाये इस बार :-p खैर जोक्स अपार्ट, आप यदि मोबाइल फ़ोन पर वर्डप्रेस का ऍप एक्सेस करते हो तो followed Site करके केटेगरी आती है, Readers section में. तो आपने जिसको फॉलो किया है, यदि वह कोई नया पोस्ट अपलोड करता है, तो आप वहां पढ़ सकते हो. और यदि PC पर एक्सेस करते हो तो वहाँ पर भी वही विधि है.

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                    3. आप भी भाई ही हैं आप के लिए भी राखी पहले ही आ जाएगी। मैं केवल लिखने के लिए नहीं लिखती वल्कि अपने भावनाओं को व्यक्त करती हूं। आप मेरी रचना महाभारत की कथा पढे भाई बहन का प्यार समझ जाएगा। धन्यवाद जानकारी देने के लिए। आगे आने वाली पीढ़ियों से काफी कुछ सीखने को मिल रहा है और उम्मीद करती हूं आगे भी मिलता रहेगा।

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                    4. जी बिलकुल ☺️
                      वैसे बहुत से अन्य लोग भी हैं जो सिर्फ लिखने के लिए नहीं लिखते हैं। आपकी रचना को पढूंगा।

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  6. वर्ना comments में भी है की जगह है। आज कल सुधार के जगह मजाक और बुरा मानने लगे हैं लोग इसीलिये अब गल्ती को गलत कहना छोड़ दिया है। धन्यवाद अभय जी आप लिखते रहिये हिन्दी में बहुत अच्छा लिखते हैं। आज के परिवेश में हिन्दी लिख रहे हैं वही बड़ी बात है।

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    1. धन्यवाद, आपका comments अलग अलग आ रहा है, मुझे समझने में तकलीफ हो रही है। वैसे मोटा मोटी समझ गया। मेरे पोस्ट में कोई गलती रह गई हो तो बेझिझक बता सकते हैं। 😊
      सुधारने का प्रयास रहेगा।

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  7. बहुत हे अच्छे तरह से आपने वर्णन किया है |
    हर एक व्यक्ति की एक कहानी है, लेकिन हम सभी अपने आप मे इतने उलझे हुए है की दूसरे के लिए समय ही नहीं है | लकिन इस प्रकार की छोटी-छोटी घटनाये हमें अपने समाज और समाज मे रह रहे लोगो के दर्द से अवगत करता है, और अपने स्तर पर समाज सेवा करने का मौका प्रदान करता है | ध्यांवाद |

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    1. धन्यवाद प्रदीप जी,मेरी लेखन का उद्देश्य ही इस पक्ष की तरफ ध्यान खींचना था।

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    1. Thank you once again Anji for your valuable insight, my purpose of the whole write up was that all the privileged class, for that matter even ordinary citizens should not forget that apart from their luxury, there are areas which needs serious attention.

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        1. Yes, it was inspired by observing some event and wrote it so that the well off class who are busy in their luxury, can sense the pain of millions.

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  8. Reblogged this on the ETERNAL tryst and commented:

    Namaste!!

    Hope you all are doing good. Today is the holiday for me, so I had the luxury of time and I was reflecting back to my older posts. Today I am re-blogging one of them, which has eventually attracted most response from the readers. Hope you will like it.

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  9. A heart touching story! It is true that many a times we choose to ignore the suffering of the people.If only we can peep what is going in others life will we realize that our problems are very small and irrelevant.In such situatioms tjere cannot be no consolation for the man who has lost his son.Despite his loss,see his humbleness which is worth learning.I think gareeb usse nahi kahenge jiske paas karz chukaane ke liye paise nahi hai par unhe jinke paas hokar bhi dusre ke gam ko kum karne ke liye nahi hai.

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  10. अभय भैया,
    यही आधुनिक समाज की विडम्बना है। आपके दोस्त की तरह मानव जाति को संवेदनशील होना बहुत जरूरी है। केवल बहुत सुन्दर पोष्ट लिखकर खानापूर्ति करना कोरी मुर्खता होगी। कोशीश करूंगा कि मेरे दिल में वंचितों के लिये संवेदनशीलता बरकरार रहे, ताकि किसी पीङित की पीङा कुछ हद तक कम हो सके।

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