
अपनी राह..
राहों को अपनी, मैं खुद ढूंढ लूंगा
बन पथप्रदर्शक तुम, मुझे न उलझाओ||
मेरे उम्मीदों को अब, पर जो लगें है
अपनी आसक्तियों की, न जाल बिछाओ||
कष्टों का पहाड़ सीधे सिर पर सहा है
राह के रोड़ों से तुम, मुझे न डराओ||
सच है जो कड़वा, मैंने खुद चख लिया है
उसपर झूठ की मीठी तुम, परत न चढ़ाओ||
मंज़िल है मुश्किल औ’ लंबा सफर है
जो बीच में हो जाना, शुरू से साथ न आओ||
ज्ञान की दीपक अब जो जली है
अपने आंसुओं से उसे न बुझाओ||
जाना जहाँ है, राहों में कांटे बिछे हैं||
मेरे लिए अभी फूलों की हार न लाओ||
निराश लोगों की लम्बी पंगत लगी है
सांत्वना भरे गीत तुम, उन्हें ही सुनाओ||
नम्रता में मैंने जीवन है जीया
मेरे खुद पे भरोसे को, मेरा अहम् न बताओ||
………..अभय…………
शब्द सहयोग: पथप्रदर्शक: Guide; पर: Wings; रोड़ों: Pebbles; आसक्ति: Attachment; पंगत: Queue, Line ;
नम्रता : Humility ; अहम् : Ego ; सांत्वना: Sympathy; Condolence, Console.
वाह , बहुत खूब 👍👍👍👍 अंतर्मन की आवाज कितनी अच्छी होती है , आज पता चला 🤗🙏🙏
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धन्यवाद अजय बाबु 🙂
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जीवन धन्य हो गया ,
😁😁😁
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🙏
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बेहतरीन 💐💐💐👌
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धन्यवाद राजा जी🙏
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👌🏻👌🏻
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🙏
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Bahut A6@ he ☺
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Thank you. ☺️
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Right.
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☺️
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I agree with this view.
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Thank you
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ज्ञान की दीपक जो जल उठी हैं..आँसुओं से उसे न बुझाओ 👌👌👌क्या बात अभय!!👍
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ज्योति जी, धन्यवाद। 😀
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मजरूह सुलतानपुरी जी की चन्द पंतिया पेश करना चाहूंगा :
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गये और कारवां बनता गया |
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वाह वाह, बहुत खूब ☺️
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अपनी राह, शीर्षक बहुत ही अच्छा नाम रखा है। और बहुत ही अच्छा लिखा है। अपने कीबोर्ड द्वारा दूसरे के लेखनी को करारा जवाब दिया है।
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धन्यवाद रजनी जी, क्षमा कीजिए मैं समझा नहीं कि यहाँ दूसरे की लेखनी का क्या अर्थ है?
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मैं आजकल के कीबोर्ड पहले पर भारी है ये बता रही थी। गल्ती से दूसरे की जगह
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लिखा गया है माफी चाहूंगी।
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कोई नहीं ☺️
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आप तो जान ही रहे होंगे हास्य व्यंग्य आलोचना समालोचना साहित्य के ही अंग हैं। इनके बिना साहित्य अधूरा है।
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हाँ थोड़ा थोड़ा पता है, और हमें आलोचना के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए ☺️
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मेरा आलोचना सुधार के लिए और व्यंग्य हंसाने के लिए होता है वर्ना रामदेव बाबा के योगा के अलावा हंसी खुशी कम ही दिखती है। सही कहा न हमने।
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जी बिलकुल ☺️
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Kya khoob likha hai
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Dhanyavad Himanshi☺️
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Bahut khoob (Y)
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Thank you mate
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Nice poem Abhay ji
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Thank you ☺️
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kya baat hai, bahut shi baat likhi aapne👏👏👏😊👌👌
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Thank you ☺️
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Reblogged this on the ETERNAL tryst and commented:
One of my favorite composition.. Re-blogging it once again…..
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