मंजिल

मंजिल  

अकेले ही तुम निकल पड़े ,
कितनी दूर , कहाँ तक जाओगे ?
बैठोगे ज्यों किसी बरगद की छावों  में
मुझे याद कर जाओगे

मैं तेज नहीं चल सकती
मेरी कुछ मजबूरियां हैं
और यह भी सच है, जो मैं सह न सकुंगी
तेरे मेरे दरमियाँ, ये जो दूरिया हैं

कुछ पल ठहरते
तो मेरा भी साथ होता
सुनसान राहों में किसी अपने का
हाथों में हाथ होता

कोई शक नहीं तुम चल अकेले
अपनी मंज़िल को पाओगे
पर देख मुझे जो मुस्कान लबों पे तेरे आती थी
क्या उसे दुहरा पाओगे ?

…….अभय ……..

Advertisement

52 thoughts on “मंजिल”

      1. सच पूछो अभय जी , इतने अच्छे मित्र बहुत कम और नसीब वालों को मिलते है , मैं आपका और सभी मित्रों का अभिनंदन करता हूँ 🙏

        Liked by 1 person

    1. आपके इस स्नेह और होंसला अफ़जाई के लिए मेरे पास शब्द नही हैं , forever junoon जी , आपका बहुत बहुत अभिनंदन , शुक्रिया 🤗🤗🤗🙏🙏🙏

      Liked by 2 people

      1. हां, आपने यह किसी बेहद अपने के लिए लिखा है और उसके धीरे चलने के, और साथ निभाने के बारे में भी लिखा है ।पर शायद आपके अकेले चलने की गति आपके पीछे वाले को खींचकर आप के बराबर चलने पर मजबूर कर दे।

        Liked by 1 person

        1. जी अपने के लिए तो नहीं, बस यूँ ही लिखा, आजकल दिमाग ज्यादा चल रहा है 😜😜
          Thank you ki aapne connect kiya.

          Liked by 1 person

              1. धन्यवाद अभय , आपने बड़ी खूबसूरती से मेरी गलती को कनेक्ट होने से जोड़ दिया 😊 वैसे बहुत बार एक बात के बहुत से अर्थ हो जाते है.
                हाँ यह आपकी सुंदर कविता की जीत है.

                Liked by 1 person

    1. धन्यवाद रजनी जी, कविता के अंतिम पंक्ति में पुछे गए प्रश्न को देखिए, शायद कुछ अर्थ निकले ☺️

      Like

  1. सामरिक का अर्थ तो युध्द संबंधी समरका होता है। मैंने सोचा कहीं फिर गलत तो नहीं पूछ दी इसलिए डिक्शनरी में अर्थ देखी। लग रहा है उम्र के साथ अर्थ समझने की भी क्षमता घट रही है।

    Liked by 1 person

    1. अरे नहीं, ऐसा नहीं है, आपका प्रश्न जायज है 😂😂
      पर strategic या सामरिक केवल युद्ध के लिए ही नहीं किसी भी महत्वपूर्ण काम के लिए हो सकता है. जैसे diplomacy में भी।

      Like

  2. वैसे मेरी बहन का सलेक्शन I. F. S में हो गया है लग रहा है उसी खुशी में ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही हूँ। वैसे एकबार फिर कहूंगी कविता इतना सरल और सटीक है तो शीर्षक भी सरल होना चाहिए। बुरा मत मानिएगा सीखने की चाहत में बच्चों की तरह नादानी कर जाती हूँ।

    Liked by 1 person

    1. अरे वाह, यह तो बहुत खुशी की बात है। 🎉🎉🎆👏
      मैं इसका शीर्षक बदल दूंगा, आप ही सुझाव दीजिए ☺️

      Like

    1. आपके सुझाव के बाद मैंने एक सरल शीर्षक दिया, आशा है कि आपको पसंद आयेगा।

      Like

      1. बहुत ही अच्छा शीर्षक दिया है। शीर्षक का मतलब होता है नीचे के पंक्तियों से मैच होना। मैंने दोबारा पढा मंजिल मैच कर रहा है और ये कविता के हिसाब से जबर्दस्त शीर्षक है। आप की और अजय जी की कविता पढ़कर लगता है कि आप लोगों को सरस्वती का वरदान और नयी पीढ़ी के उभरते सीतारे हैं। इस लिए अपना समझकर गलती सुधार कर आप लोगों की रचनाओं को चार चाँद लग जाय । आप लोग मेरी बात को मानते हैं ये मेरे लिए गर्व की बात है।

        Liked by 1 person

  3. धन्यबाद अभय जी की आपने मेरे बात को समझा और अपना शीर्षक बदल दिया है। उसी समय मै परिश्रम ही सफलता की कुंजी है पर लिखकर पब्लिश कर रही थी इसलिए लेट हो गया।

    Liked by 1 person

  4. इससे बेहतर और कुछ भी नहीं।
    शब्दों से प्यार झलक रहा है।

    Liked by 1 person

  5. Reblogged this on the ETERNAL tryst and commented:

    Today I am sharing one of my poem, which has already been published in my blog. Many of you might have already read it. However, many new bloggers have connected with me in recent times. So read / re-read it and let me know was it worth the time which you have spent in reading…

    Like

Leave a Reply

Please log in using one of these methods to post your comment:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: