नूतन वर्ष की शुभकामनायें मित्रों, आप सभी का यह नव वर्ष विक्रम सम्वत 2074 मंगलमय बीते. आज बैठे-बैठे अनायाश ही मन में एक प्रश्न आया कि संसाधन सफलता को सुनिश्चित करने में कितना बड़ा योगदान अदा करते हैं ? एक मित्र से चर्चा भी हुई. तदोपरांत कुछ पंक्ति ने पद्य का रूप लिया. बताइयेगा कि इस विचार में आपकी सहमति है कि नहीं ?
क्यों तीर गिनना ?
तरकश में जितने तीर नहीं है
शत्रु कहीं ज़्यादा खड़े हैं
संख्या बल पर दम्भ भरें वो
लहू के प्यासे बनें अड़े हैं
“वह” उनकी भीड़ से बेपरवाह
दृढ़ता से रणभूमि में खड़ा है
अपने दल पर है भरोसा
सामर्थ्य का उसे पता है
सच तो है कि
युद्ध में बस कुछ ही लड़ते हैं
शेष सब शोर मचाते
उनके बल आगे बढ़ते हैं
तो क्या हुआ कि तरकश में
जो तीर कम है
हरेक तीर से शिकार होगा
हर वार में शत्रुओं के नायकों का
चुन चुन कर संहार होगा
त्राहिमाम करेगी विरोधी सेना
विजय पताका नभ छुएगी
साधन बिना भी युद्ध जीतकर
उसकी सेना इतिहास रचेगी
………..अभय ………..
Beautifully written Abhay😊
LikeLiked by 1 person
शुक्रिया ☺️
LikeLiked by 1 person
Too good 😊😊
LikeLiked by 1 person
Thank you Sapna, m pleased that you felt so.
LikeLiked by 1 person
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने अभय जी।
LikeLiked by 1 person
शुक्रिया ☺️
LikeLike
Amazing👏👏👏
LikeLike
Thanks Sir 🙂
LikeLiked by 1 person
साधन बिना भी युद्ध जीतकर
उसकी सेना इतिहास रचेगी
बहुत शानदार , सुन्दर रचना 😊😊😊👍👌
LikeLiked by 1 person
अजय जी धन्यवाद!!
LikeLiked by 1 person
क्यों तीर गिनना
Nice
LikeLike
Dhanyavad 🙂
LikeLiked by 1 person
बेहतरीन :)))
LikeLiked by 1 person
☺️
LikeLike
Bhut khoob Bhai
LikeLiked by 1 person
Dhanyavad bhai, apki pratikriya sir aankho par ☺️
LikeLiked by 1 person
वाह अभय !! सुंदर रचना –
विजय पताका नभ छुएगी
साधन बिना भी युद्ध जीतकर
उसकी सेना इतिहास रचेगी
LikeLiked by 1 person
शुक्रिया रेखा जी🙏
LikeLiked by 1 person