25 thoughts on “मौन क्यों हो ?”

      1. सही कहा—-संक्षेपण—–जिसका जितना मर्जी बिस्तार करले कोई,——कभी कभी एक शब्द में बहुत कुछ होता है- ये तो दो जबर्दस्त लाईन है—-मन को भाया—धन्यवाद।

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  1. कभी-कभी खामोशी भी बहुत कुछ कह जाती है, और कही-कभी लोगो की चीखे भी ध्यान आकार्शिक्त नहीं कर पाती |

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