बहुत खूब—–इस तूफ़ान को अपने जीवन से मिलाने का एक छोटा प्रयास—शायद आपको पसंद आये——
हम कोमल-नाजुक पत्ते,खूबसूरती हैं डाल के,
हमारा क्या अस्तित्व,हमारा जीवन भी डाल से।
हम नाजुक हैं कमजोर नहीं,
तूफानों से टकराते हैं,
बेसक टकराकर अपना तन,
रक्त-रंजित भी हो जाते हैं,
हम आग सी तपती धूपों को भी,
हंसकर के सह जाते हैं,
आती है घोर बिपत्ति तब,
डटकर हम उसे भगाते हैं,
कुछ टूटते है कुछ सुख जाते,
कुछ डाल से दूर नहीं जाते
टकरा कर के तुफानो से,
हम लहू-लुहान भी जाते,
जिस डाल के हमसब पत्ते हैं,
उस बृक्ष की जड़ कमजोर नहीं,
तूफ़ान भी अब शर्मिंदा है,
उसमे भी इतना जोर नहीं,
हैं गिरे बृक्ष वे नाजुक थे,
जड़ में उसकी थी जान नहीं,
हम पत्ते,डाल जिस बृक्ष के हैं,
उसका हिलना आसान नहीं।
बहुत खूब—–इस तूफ़ान को अपने जीवन से मिलाने का एक छोटा प्रयास—शायद आपको पसंद आये——
हम कोमल-नाजुक पत्ते,खूबसूरती हैं डाल के,
हमारा क्या अस्तित्व,हमारा जीवन भी डाल से।
हम नाजुक हैं कमजोर नहीं,
तूफानों से टकराते हैं,
बेसक टकराकर अपना तन,
रक्त-रंजित भी हो जाते हैं,
हम आग सी तपती धूपों को भी,
हंसकर के सह जाते हैं,
आती है घोर बिपत्ति तब,
डटकर हम उसे भगाते हैं,
कुछ टूटते है कुछ सुख जाते,
कुछ डाल से दूर नहीं जाते
टकरा कर के तुफानो से,
हम लहू-लुहान भी जाते,
जिस डाल के हमसब पत्ते हैं,
उस बृक्ष की जड़ कमजोर नहीं,
तूफ़ान भी अब शर्मिंदा है,
उसमे भी इतना जोर नहीं,
हैं गिरे बृक्ष वे नाजुक थे,
जड़ में उसकी थी जान नहीं,
हम पत्ते,डाल जिस बृक्ष के हैं,
उसका हिलना आसान नहीं।
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बहुत ही ज्यादा पसंद आया! शुक्रिया
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Apne sir Puri Kavita likh di !
Ise khte hain lekhak ki kalpna
Sadhuvaad
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Abhar apka apne pasand kiya…..
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🙏🙏
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Bhut khoob
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शुक्रिया 🙏
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Nice.
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Thank you
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गहरी जड़ों के बहाने आपने गहरी बात कह दी.
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😊🙏
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छोटा परन्तु बहुत ही अच्छा लिखा है।
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कभी-कभी छोटा भी प्रभावी हो सकता है ☺️
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बहुत खूब
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शुक्रिया वैभव 😊
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