बहुत ही खूबसूरत रचना है पढा है मैंने और रामचरित मानस में तो और भी अच्छे से पढा है। जबाब नहीं।
सबसे तर्क में जीता है।
पर ज्ञानी गरु से कोई जीता है।
हार सहर्ष स्वीकार है।
क्यों कि गुरु शिष्य के ज्ञान देने के लिए जीता है।
इसका मतलब है मैं सबसे जीत जाती हूँ तर्क में पर आप से हमेशा हार जाती हूँ। यानी आप मेरे ज्ञानी गरु निकले। क्यों कि आप का ज्ञान मेरे ज्ञान से अधिक है। और गुरु ज्ञानी को ही बनाना चाहिए।
जय श्री राम…सुप्रभात …..शुभ दिवस अभिवादन !
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शुभ प्रभात भाई जी 🙏
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बहुत ही डराने वाला है पोस्ट है। बहुत ही अच्छा लिखा है।
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हा हा हा
डरा नहीं, धमका रहा हूँ 😂
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अरे अभय जी संयम की परीक्षा ली जा रही है आप धमका कैसे सकते हैं। आप के कविता के अर्थ और आप के जबाव का जवाब है।
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तीन दिवस तक पंथ मांगते
रघुपति सिन्धु किनारे,
बैठे पढ़ते रहे छन्द
अनुनय के प्यारे-प्यारे।
उत्तर में जब एक नाद भी
उठा नहीं सागर से
उठी अधीर धधक पौरुष की
आग राम के शर से।
दिनकर जी की कविता प्रासंगिक है
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बहुत ही खूबसूरत रचना है पढा है मैंने और रामचरित मानस में तो और भी अच्छे से पढा है। जबाब नहीं।
सबसे तर्क में जीता है।
पर ज्ञानी गरु से कोई जीता है।
हार सहर्ष स्वीकार है।
क्यों कि गुरु शिष्य के ज्ञान देने के लिए जीता है।
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ये चार लाइन मैंने आपको इंगित कर लिखा है।
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मैं समझा नहीं
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इसका मतलब है मैं सबसे जीत जाती हूँ तर्क में पर आप से हमेशा हार जाती हूँ। यानी आप मेरे ज्ञानी गरु निकले। क्यों कि आप का ज्ञान मेरे ज्ञान से अधिक है। और गुरु ज्ञानी को ही बनाना चाहिए।
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हा हा, अरे ऐसा नहीं है! मैंने बस अपना मत और भाव व्यक्त किया था।
और यहाँ जीत हार का प्रश्न ही कहांँ है!
शुक्रिया 🙏
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अरे भाई angry bird वाले bomb की तरह मत फट जाना
☺☺☺☺☺
Just kidding
😊😊😊
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क्या जगदीप जी, तुलना भी किया तो आभासीय चीज से, परमाणु बम कहते तो कोई बात होती 😝
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भाई movie में देखे थे एक बार तो वही याद आ गया
परमाणु बम तो अच्छी चीज नही है न
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अरे तो मैं ज्वालामुखी थोड़े ही न बन जाऊँगा 😜
उपमा अलंकार का प्रयोग था, शुक्रिया 🙏
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😊😊😊😊😊
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☺️🙏
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