खुला पिंजरा

 

 cb1

 

तूने वर्षों तक
पिंजरें में मुझे जो कैद किया
और फिर कहके कि बड़प्पन है “मेरा” 
जाओ तुम्हें आज़ादी दी
और पिंजरे को फिर से खोल दिया

अब जब आदत हो चली इस पिंजरे की
और उड़ना भी मैं भूल गया
तो ये खुला पिंजरा भी क्या कर पायेगा
जो उन्मुक्त नभ में उड़ता था पंक्षी
बस धरा पर रेंगता रह जाएगा

 

………अभय ……..

Advertisement

20 thoughts on “खुला पिंजरा”

  1. आपकी कविता बहुत कुछ कह रही है।लाजवाब लेखन।पूर्व की भांति पढ़कर पुनः मन मे कुछ विचार आये जिसे शेयर कर रहा हूँ शायद आपको पसंद आये—

    क्यूँ पिंजर बन्धन खोल दिया–?
    थी एक कटोरी पास मेरे,
    कुछ उसमे दाना-पानी थी,
    लोहे की बनी सलाखों में,
    अब मेरी दुनियाँ सारी थी,
    क्या हमसे तेरा स्वार्थ खतम,
    क्यों ममता हमसे जोड़ लिया,
    तू हमे बता ऐ दिलवाले,
    क्यूँ पिंजर बन्धन खोल दिया–?

    उन्मुक्त गगन का था पंक्षी,
    बहते पानी सी दुनियाँ थी,
    धरती अपना अम्बर अपना,
    अपनी ये दुनियाँ सारी थी,
    तू कैद किया फिर पिंजर में,
    अपनों से हमको दूर किया,
    अपनी खुशियों के लिए हमें,
    मेरी खुशियों से दूर किया,
    अब और खुशी क्या तुम पाया,
    किससे नाता तुम जोड़ लिया,
    तू हमे बता ऐ दिलवाले,
    क्यूँ पिंजर बन्धन खोल दिया–?

    लो देख पंख सारे मेरे,
    पिंजर में तेरी टूट गई,
    जो पंख बचे हैं संग मेरे,
    उनसे उड़ना मैं भूल गई,
    क्यों खोल दिया अब पिंजर तू,
    कर दुनियाँ को बर्बाद मेरे,
    अब इतना दिलवाला मत बन,
    हैं दोस्तहीन संसार मेरे,
    तू अगर हमें आजाद किया,
    धरती पर हम गिर जाएंगे,
    धरती पर रहनेवाले सब,
    मिट्टी में हमे मिलाएंगे,
    ऐ दुष्ट बता क्या मन मे है,
    क्यूँ बन्दी गृह को खोल दिया,
    क्या नशा तुम्हारी आँखों में,
    क्यूँ पिंजर बन्धन खोल दिया–?

    Liked by 2 people

        1. Oh Sir! Thank you very much. I am humbled. 🙏
          Hope you would like my article which I recently published. I need your critical evaluation, if time and interest permits you.

          Like

Leave a Reply

Please log in using one of these methods to post your comment:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: