मुर्दों की बस्ती
मोल लगा लो पैसे हों तो
यहाँ ईमान बहुत ही सस्ती है
ये मुर्दों की बस्ती है
शुचिता के सब स्वांग रचे हैं
पर, बिकी हुई हर हस्ती है
ये मुर्दों की बस्ती है
कलंक का डर अब किसे यहाँ पर
स्वाभिमान गर्त तक धसती है
ये मुर्दों की बस्ती है
पीड़ित जन हैं, वे सांत्वना भी देंगे
पर उनके ह्रदय में घोर मस्ती है
ये मुर्दों की बस्ती है
देखता मैं भी महल-अट्टालिका,
झोपड़पट्टी पर ही नज़र टिकती है
हाँ, ये मुर्दों की ही तो बस्ती है
……..अभय…….
शब्द सहयोग:
शुचिता: Chastity, Purity