मुट्ठी भर रेत
शीशे के पात्र में संचित
रेत तुम्हारा जो रखा था
वह धीरे धीरे बह रहा
कुछ-कुछ तुमसे शायद वो कह रहा
क्या तुम भी उसे सुन रहे ?
इस शीशे के पात्र का
आकार अलग हो सकता है
इसमें संचित रेत की मात्रा
भी असमान हो सकती है
क्या तुम्हें अपने बचे रेत का अनुमान है?
इस शीशे के पात्र को तुम
मनमर्जी से पलट नहीं सकते
यह ऐसा खेल है जिसके नियमों को
सुविधा से तुम बदल नहीं सकते
क्या तुम इसके नियमों में ढल पाए ?
इस शीशे के पात्र में रखा रेत जो
एक बार पूरी तरह बह जाए
मन में दबी आशा अपेक्षा
सदियों तक मलबे में ही रह जाए
क्या तुम हिस्से की रेत के संग न्याय कर पाए ?
……….अभय……….
Nice one 👍🏻
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Thanks Rohit!
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बहुत खूब। 👌
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शुक्रिया
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शीशे के पात्र में संचित
रेत तुम्हारा जो रखा था
वह धीरे धीरे बह रहा
कुछ-कुछ तुमसे शायद वो कह रहा
क्या तुम भी उसे सुन रहे ?
अगर सुनते तो लिखने की जरूरत नही।बेहतरीन लेखन भाई जी।👌👌
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ये प्रश्न सबसे है, मेरा खुद से भी। शुक्रिया कि आपने पढ़ा और आपको अच्छा लगा
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Kya khoob likha hai👍👍 bahut hi achhe se shabdon ko joda hai. Maja a gaya
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शुक्रिया गौरव जी, शुक्रिया!
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Bahut khub lekhan
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शुक्रिया!
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NICE LINE ABHAY
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Thanks Poonam!
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welcome Abhay
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अति सुंदर
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बहुत बहुत धन्यवाद!
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