When to speak…Whom to speak

बसंत तो अब बीत चुका है

कुहू तो बस अब मौन रहेगा

क्षितिज पर कालिख बदरी छायी है

सब दादुर अब टर-टर करेगा

                                       ~अभय

 

Spring has gone

Cuckoo will not sing any more

Dark clouds are hovering in the sky

Oh! It’s time for the frogs

                                                                                                 ~Abhay

 

कुहू- कोयल
दादुर- मेढ़क

आप पंक्तियों को खुद से जोड़ पाए तो मैं अपनी सफलता मानूंगा..

24 thoughts on “When to speak…Whom to speak”

  1. छोटी मगर कई भावों को समेटे हुए खूबसूरत पंक्तियाँ……..मैंने भी एक भाव को अपने शब्दों में दर्शाने का प्रयास किया है …..शायद आपको पसंद आये|

    बोल सुरीली कल की बातें,
    अब दादुर का दौर है,
    टर-टर,टर-टर नभ गूँजेगा,
    कुहू कहीं अब मौन है,
    ये बरसाती दादुर ही रब,
    इनका ही फरमान चलेगा,
    सब दादुर अब टर-टर करेगा|
    खुशबु से था भरा बसंत,
    चला गया तो आएगा फिर,
    तब दादुर चुपचाप रहेंगे,
    कुहू-कुहू धुन गायेगा फिर,
    फिर होगी रंगों की वर्षा,
    धरती जश्न मनाएगी,
    संयमित जो कुहू मौन पड़े हैं,
    उनकी ध्वनि सुनाएगी,
    सोच अभी संयमित कुहू जैसे,
    कालिख बदली आयी कैसे,
    भले ही दादुर रंग बिरंगे,
    सोच मगर सबके एक जैसे,
    तान एक ही घर-घर बजेगा,
    सब दादुर अब टर-टर करेगा,
    सब दादुर अब टर-टर करेगा|

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    1. हा हा, लोग अब मेरी कविता को छोड़ आपकी पंक्तियाँ ही पढ़ेंगे :-D…
      बहुत ही बेहतर 🙂

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      1. शुरुआत वही से करेंगे भले ही अंत मेरे संग होगा।धन्यवाद आपका साथ जोड़ने के लिए।☺️

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