अब भी मेरे सपनो में आती हो…

boy
Photo Credit:onehdwallpaper.com

अब भी मेरे सपनो में आती हो…

हाथ पकड़ती थी वो,

कुछ दूर संग मेरे आती थी

देख न ले दुनिया,

जग से नज़रें चुराती थी

मेरे मन के हर कोने में

आशियाँ बनाती जो

तुम अब भी मेरे सपनो में आती हो…


अक़्सर लंबी थी जो राहें लगती,

संग तेरे सिमट जाती थी

जिसकी हर हँसी,

पीहू की याद दिलाती थी

हर सावन की पहली बारिश में,

संग मेरे भीग जाती जो

तुम अब भी मेरे सपनो में आती हो…


दिन तो बीते जैसे-तैसे,

पर रात ठहर जाती थी

अनायास ही मन को मेरे,

याद तेरी आती थी

हर पल हर क्षण संग हो मेरे,

एहसास कराती जो

तुम अब भी मेरे सपनो में आती हो…

………..अभय………..

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33 thoughts on “अब भी मेरे सपनो में आती हो…”

  1. इन्तेजार तो प्रेम ही करता है या यूं कहें–जहाँ प्रेम है वहीं इन्तेजार।
    कभी आना हमारी गलियों में भूल से,
    रुत सावन की राहें भरी है धूल से।

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    1. शुक्रिया मधुसूदन जी,आपकी अनुपस्थिति से हमे लगा कि कहीं आप नाराज तो नही चल रहे! आपकी वापसी से हमे अच्छा लगा

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        1. चलिए आप व्यस्त तो हैं, यहाँ
          सुबह होती है शाम होती है
          ज़िन्दगी यूँ ही तमाम होती है😉

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