Fatal Attachments!

वैदिक शास्त्रों में आसक्ति (attachment) को दुःख का प्रमुख कारण बताया गया है. भगवान् श्री कृष्णा ने भी भगवद गीता में इसका वर्णन विशेष रूप से किया है. बुद्ध के चार आर्यसत्य (Four Noble Truth) में से एक है “आसक्ति ही सभी दुखों का कारण है.”
पर ये आसक्ति है क्या? मैं एक वैदिक साहित्य पढ़ रहा था तो उसमें आसक्ति को समझाने के लिए एक उदाहरण का वर्णन मिला. उस समय तो उसकी महत्ता समझ नहीं आयी और उसको मैं वास्तविक जीवन से जोड़ भी नहीं पा रहा था. पर मैं आज जब कमल के फूलों को निहार रहा था तो उस उदहारण का तात्पर्य बहुत अच्छे से समझ आया.

पहले आप इन कमल के फूलों को देखिये.

कैसी लगी तस्वीरें ? मुझे तो बहुत अच्छी लगी, पर यदि आप गौर से देखेंगे तो इनमे से एक तस्वीर में दो
मधुमखियों के शरीर को भी देख पाएंगे. ये मृत अवस्था में हैं.

देख कर मुझे वह श्लोक और उसकी व्याख्या याद आयी. उस श्लोका में मनुष्य की आसक्ति की तुलना भैंरों या मधुमखियों से की गयी है. मधुमखी पराग की तलाश में एक फूलों से दूर फूलों पर भटकती हैं. कमल का फूल उन्हें अपनी सुंदरता और रस के कारण बहुत आकर्षित करता है. वह सुबह से शाम उसके रसपान में लिप्त हो मदहोश हो जाती है. उसे फिर और किसी भी चीज की सुध नहीं रहती. जब शाम होती है तो कमल का फूल अपनी प्रकृति के हिसाब से अपने पंखुड़ियों को समेट कर खुद को बंद करने लगता है. इस बात से अनभिज्ञ, रसपान में मदमस्त मधुमखी को इसका ज्ञान नहीं रहता और वे उसी में बंद हो अपना अस्तित्व त्याग देती है.
आजीवन, क्या हम भी कहीं उन मधुमखियों सा आचरण तो नहीं करते?

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18 thoughts on “Fatal Attachments!”

  1. You are right attachment leads to pain, but sometimes it becomes so difficult to detach! We should learn this from lotus. It has its root deep inside the mud; however, the flower is pious.

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  2. कीचड़ में खूबसूरत कमल खिलता है और उसपर आसक्त भौंरे अपना सुद्धबुध खो अपनी जान गवां देते हैं। अब हमारी आसक्ति जिसपर है वो कमल है या नही है समझना मुश्किल।सच कहा जाय तो हमारी स्थिती उसी भौंरे की तरह है इस दुनियाँ में जिसे चाहकर भी हम नहीं छोड़ पाते। माफी दोस्त बहुत देर के बाद आपकी लेखनी पढ़ पा रहा हूँ।

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