
मृतप्राय तुम भय के सम्मुख
हर क्षण अविरल अश्रुधार पीते हो
व्यर्थ तुम्हारा जीवन जग में जो तुम
यूँ पल-पल घुट-घुट कर जीते हो
डर अधम है, डर पाप है
सबसे बड़ा यही अभिशाप है
यही कारण है पुरुषार्थ के खोने का
आशाओं के सम्मुख भी फूट -फूट कर रोने का
वीरों की हत्या जितनी उनके
चिर शत्रुओं ने न की है
इस निकृष्ट भय ने उससे कहीं ज़्यादा
उनकी प्राण हर ली है
हे मनु पुत्र तुम
इस पाश्विक भय का परित्याग करो
चुनौतियों से जूझो तुम
उसे सामने से स्वीकार करो
कोई यूँ ही नहीं अपने आप ही
राणा प्रताप कहलाता है
लोहे के चने चबाता है ,
भय को भी नतमस्तक करवाता है
जिस दिन भय पर विजय तुम्हारी होगी
पथ और लक्ष्य का अंतर पट जायेगा
भयाक्रांत कमजोर समझता था जो खुद को
वह मानव, देव तुल्य बन जायेगा
……..अभय ……..
Waah .
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Shukriya Suyash!
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वाह। प्रयत्नशील रहना यही भारत माँ के सपूतों की सीख रही है। बहुत बढ़िया।
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जी बिलकुल, अन्य देशों के लोग भी रहे हैं. एडिसन को ही देख लीजिये 🙂
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और आप तो स्वयं अभय हो। आप ही यह सीख दे सकते हो।
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हा हा, पता नहीं कि कहीं मैं सिर्फ नाम का ही तो नहीं. वैसे मन में ख्याल आया तो आप सब तक पहुंचा दिया.
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🙏🙏🙏
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A beautific PIECE OF POETRY. You are yourself ABHAY and one would always grip over fear. The brave man dies once only,
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Yeah, brave dies once!
Thank you for wonderful response Sir!
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all the very best
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बेहतरीन 👌
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शुक्रिया🙏
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😊
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Bahut umda rachna hai Abhay 👌
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शुक्रिया राधिका जी🙏
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badhiya 🙂
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Shukriya 🙂
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सूंदर सृजन ।
व्यर्थ तुम्हारा जीवन जग में जो तुम
यूँ पल-पल घुट-घुट कर जीते हो
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शुक्रिया विजय जी🙏
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कोई यूँ ही नहीं अपने आप ही
राणा प्रताप कहलाता है
लोहे के चने चबाता है ,
भय को भी नतमस्तक करवाता है
वाह। बेहतरीन रचना भाई जी।
जीवन तेरा धिक्कार अगर भयभीत रहे इस दुनियाँ में,
फिर पग-पग तेरी हार सुनिश्चित जीत नही इस दुनियाँ में।
तुम याद करो राणा,प्रताप,शिवाजी,पोरस वीरों को,
भय भी भयभीत रहा उनसे प्रणाम किया रणधीरों को,
उठ जाग रगों में रुधिर वही लाचार खड़े क्यों दुनियाँ में,
जीवन तेरा धिक्कार अगर भयभीत रहे इस दुनियाँ में।
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शुक्रिया मधुसुदन जी आपकी सतत प्रेरणा के कारण ही हम कुछ लिख पाते हैं!!!
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लिखते रहिये भाई ऐसे ही लिखते रहिये।
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🙏
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👏👏
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अद्भुत
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शुक्रिया वरूण🙏
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बहुत खूब लिखा है अभय जी पर हमें लग रहा है घूँट शब्द नहीं होगा घूँट का अर्थ चुस्की लेकर पीने शब्द से लिया गया है मेरे विचार से घुट शब्द होना चाहिए जो विजय जी ने कमेन्ट में लिखा है आप अपने कविता में किस अर्थ में लिखे हैं।
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बिल्कुल सही कहा आपने, मैं अभी सुधार करता हूँ। शुक्रिया आपका🙏
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शुक्रिया आपका भी। मैं तो जो समझ में आ जाता है बता ही देती हूँ सामने वाले की प्रतिक्रिया क्या होगी ये सोचे बिना। वैसे आपका लिखने विषय और भाव विल्कुल अलग होता है।
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लिख लेते हैं जो भाव आता है, शुक्रिया आपका कि आप पधारे🙏
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कभी समय मिलते आप भी तो पधारे तो खुशी होगी। मैं बुक पब्लिश करने के चक्कर में थोड़ी व्यस्त थी पहली बुक जिदंगी के एहसास के बाद दूसरी बुक शब्दों का सफर पर काम चल रहा है। मेरा अनुरोध है आपसे की समय मिलते प्रसिद्ध सूफी साहित्यकार प्रो. राम बच्चन सिंह द्वारा की गई जिंदगी के एहसास बुक की समीक्षा अवश्य पढ़ें उम्मीद है आपको अच्छा लगेगा इस बुक का निचोड़ समझ सकेगें।
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जी जरूर!
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Bahut sunder aur prernadayi vichar!!
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शुक्रिया 😊
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Aati uttam. With beautiful message
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Shukriya 🙏
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Sundar abhivyakti.
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Shukriya 😀
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Abhay bhai,
Poem is tooo good . Lekin jo words aapne use kiye h na that is phenomenal and so awsm.
Loved the way u bound so beautifully …
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Wow! That is some appreciation 😀😀
Thank You
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Yeah , u deserve that 😉
Keep writing ☺️
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भय ही है जो हमें कई लक्ष्यों से दूर रखता है और इस पर विजय पाना जीवन का सबसे अग्रिम विजय होगा!
सुन्दर विचार, अभय!
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शुक्रिया
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✍️🙂👍
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😊🙏
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