संघर्ष करो…

जीत की कथायें जगजाहिर हैं
कहने में उन्हें सब माहिर हैं
उन कथाओं को तुम रहने दो
मुझे संघर्ष की गाथायें कहने दो

कहने दो मुझे शिवाजी को
राणा की हल्दीघाटी को
बलिदानियों के रक्त से सने
भारत की पग-पग माटी को

कहने दो झाँसी की रानी को
अश्फ़ाक की बलिदानी को
मौत के फंदों को भी हँसकर चूमते
भगत के टोली की मनमानी को

कहने दो तिलक के स्वराज्य को
बापू के राम राज्य को
बाबासाहब की दूरदृष्टि को
भेद रहित नवभारत की सृष्टि को

जीत क्षणिक तो, संघर्ष है शाश्वत
यही है गीता ज्ञान, यही है भागवत
लहू में अपने शौर्य की लाली दिखने दो
मुझे जीवन की नई परिभाषा लिखने दो

………अभय……..

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