पतझर में पेड़ों से पत्ते,
नीचे गिर आते हैं
वसंत आते ही पेड़ों पर पत्ते,
वापस से आ जाते हैं
जो नज़रों से गिर जाएँ
उनके उठने का
कोई मौसम नहीं होता
……अभय……
पतझर में पेड़ों से पत्ते,
नीचे गिर आते हैं
वसंत आते ही पेड़ों पर पत्ते,
वापस से आ जाते हैं
जो नज़रों से गिर जाएँ
उनके उठने का
कोई मौसम नहीं होता
……अभय……
Wah
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शुक्रिया🙏😀
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Fallen for ever 😀
Well penned!
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Hehe..
Thank You!
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सही लिखा है आपने.
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शुक्रिया!
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Awesome!
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Thank you so much!!!
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Good to see you. Take care and be safe.
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I am also glad to see your response 🙂
Please take care of yourself!
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सत्य वचन
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धन्यवाद🙏
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बिल्कुल सही कहा है अभय जी। जो नज़रों से गिर जाएँ
उनके उठने का
कोई मौसम नहीं होता।
👌👌👏👏
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धन्यवाद रजनी जी!😀
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लाकडाउन में तो मेरे ब्लॉग पर पधारे टाइम ही टाइम है पुराने समय की भरपाई लाकडाउन में पूरा इसी बहाने पुराने फालोअर एक दूसरे को पढ़ पायेंगे 🤔😊
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Ha..Ha..Ji bilkul.
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Ji Bilkul! Dhanywad 🙂
Surakshit rahiye
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पत्ते नित्य गिरते हैं
नित्य नव उग आते हैं,
मगर जो गिर गए वे दुबारा डाल पर नही आते,
कुछ लोग पत्तों की तरह नजरों से गिर जाते हैं फिर माफी कितना भी मांग ले दुबारा उठ नही पाते। बहुत खूब कहा और सत्य भी।
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जी सही कहा आपने! शुक्रिया कि आपको पसंद आया🙏
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🙏🙏
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बहुत खूब।
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धन्यवाद!
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It is a true saying indeed though not metaphorically!
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Thanks for reading! 😃
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Nyc
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Thank You
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