स्वार्थ, दम्भ औ’ गर्व का पिंजरा
लटकता टँगा रह जाता है
प्रेम का पंक्षी दह जाता है
इतिहास सदा ये कह जाता है
….अभय….
The cage (Selfishness and Pride) burns the bird (Love). This is happening since generations.
स्वार्थ, दम्भ औ’ गर्व का पिंजरा
लटकता टँगा रह जाता है
प्रेम का पंक्षी दह जाता है
इतिहास सदा ये कह जाता है
….अभय….
The cage (Selfishness and Pride) burns the bird (Love). This is happening since generations.
दम्भ छोड़,पाखंड तजो तुम,
जीवन में नवरंग भरो तुम,
पल दो पल का सुबह सुहाना,
देख बहुत कुछ कह जाता है,
प्रेम का पंक्षी दह जाता है।
तुम भी मुस्काओ,
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शुक्रिया, लोगों की प्रतिक्रिया नहीं आयी तो लगा कि आज किसी को पसंद नहीं आया😁
धन्यवाद आपका।
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ऐसा नही की पसन्द नही आया होगा। शायद लोगों ने कंजूसी कर दिया।😁
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He..He..Aaj kal lockdown me bhi kanjoosi.😅
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प्रचुरता में ही अभाव होता है
भले ही दिखाई ना दे,
पूंजीपति को पूंजी प्यारी,
जिसे समय मिला वह और भूखा हो गया शायद।😁
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Waah..Kya drishtikon hai
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क्या बात है औरतें कंजूसी नहीं गृहस्थी की जिम्मेदारियों के कारण नहीं पढ़ पाते। फिलहाल लाकडाउन में मेरी जिम्मेदारियां तो बढ़ गयी है इसलिए समय से न पढ़ पायी।
बहुत अच्छा लिखते हैं और उससे अच्छी बात अभय जी वापस आ गये प्लेट फार्म पर। 😊😊पढ़ने में कितना आगे आते हैं लाकडाउन में वो तो कमेंट बतायागा😂😂
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Aapse sikayat nahi thi hume! 😀
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😊😊
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