आज विश्व पर्यावरण दिवस है..इसपर कुछ लिखने की लालसा ही नहीं हो रही है…2020 कुछ अलग ही रंग दिखा रहा है और केरल से भी दो दिन पहले वीभत्स तस्वीरें आयी हैं. लेकिन मैं आज आपको कहानी सुनाता हूँ, पर्यावरण को लेकर पूरी मानव जाती आज hyperactive रहेगी. तो मैंने सोचा कि थोड़ी diversity लायी जाये
मेरी चचेड़ी बहन है. नाम है अभव्या. हम घर में उसे राधा के नाम से बुलाते हैं. है बहुत मासूम,बस 6 साल की. आप सोच रहे होंगे कि इस उम्र में सब मासूम ही होते हैं . बात भी कुछ हद तक सही ही है. पर मैंने कल उससे जुडी एक किस्सा सुना, 3-4 महीने पहले का. मासूमियत का पुख्ता सबूत मिला. आप भी सुनकर ही तय कीजिये.
हुआ यूँ कि उसको घर में कम और अड़ोस पड़ोस में घूमने में बड़ा मजा आता है. और हरेक सजग माता पिता की तरह मेरे चाचा चाची को यह ज़्यादा पसंद नहीं आता. शाम हुई नहीं कि पापा को कहने लगती है चलिए न मिश्रा अंकल के यहाँ या खन्ना अंकल के यहाँ! कारण यह है कि वहाँ उसे अपनी उम्र के बच्चे मिल जाते हैं तो मन लगा रहता है
चाचा ने बताना शुरू किया कि सामान्यतया इसको सर्दी हो जाती है इसलिए मैंने इसको बताया था कि एक ही शर्त पे ले जाऊंगा कि जब भी कोई खाने को कुछ भी दे तो लेना नहीं है. अब बच्चों को कोई चॉकलेट ऑफर करे तो आप समझ सकते हैं कितना मुश्किल हो सकता है मना करना. पर चाचा ने बताया राधा पुरजोर तरीके से हरबार डटी रहती. जब भी उसे कोई कुछ भी ऑफर करता तो वह कुछ भी नहीं लेती थी. चाचा ने बताया कि उन्हें राधा के इस दृढ निश्चय पर बड़ा गर्व होता. पर लोग उनसे शिकायत करने लगे कि शायद आप ही उसको सीखा कर लाते हैं इसलिए वो कुछ भी नहीं लेती. चाचा ने सिरे से इस आरोप से इंकार किया. फिर एक दिन चाचा ने राधा से कहा कि जब कोई दो-तीन बार लगातार पूछे तो ले लेना चाहिए, नहीं तो सामने वाले को बुरा लगेगा. राधा ने इसको ज्यों का त्यों लिया.
अगले दिन चाचा खन्ना अंकल के यहाँ गए. खन्ना ऑन्टी ने इस बार भी राधा को आइस क्रीम के लिए पूछा. राधा ने पहली बार मना किया, दूसरी बार मना किया. जब ऑन्टी ने तीसरी बार पूछा तो राधा ने अपना चेहरा चाचा की तरफ करके पूछा..पापा तीन बार हो गया अब ले लूँ!!!
चाचा ने खन्ना अंकल और ऑन्टी की तरफ देखा और दोनों ने उनकी तरफ…
अगले दिन चाचा खन्ना अंकल के यहाँ गए. खन्ना ऑन्टी ने इस बार भी राधा को आइस क्रीम के लिए पूछा. राधा ने पहली बार मना किया, दूसरी बार मना किया. जब ऑन्टी ने तीसरी बार पूछा तो राधा ने अपना चेहरा चाचा की तरफ करके पूछा..पापा तीन बार हो गया अब ले लूँ!!!……..हे हे हे हे हे हे हे
Bachche dil ke sachche……..
हाथ बढ़ते नहीं
मन बेकाबू
कैसे कहें
कितना मुश्किल था करना तब भी
खुद पर काबू,
जब हम भी बच्चे थे,
कच्ची उम्र थी फिर भी
जो कहते उसके पक्के थे|
सच कहें तो हम वही जाते थे जहाँ मेरे साथ गए किसी की नहीं चलती थी|
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He..He..
Bachpan se hi shatir the aap to😂😂
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bachpan se hi matlab…….
bhayee kayee station chhute……..
wah shatiraanaa bhi chhut gaya,
bachpan se abhi tak n jaane
kayee aashiyana tut gaya.
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Mazak kar raha tha bhai shab..😁🙏
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hum bhi serious kahan hain…..
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आपसे आत्मीयता है इसलिए बिना सोचे कुछ भी लिख देते हैं
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Bhayee esiliye hum bhi aapko dhundhte rahte hain..
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बहुत खूब ये कहानी हकीकत है या कल्पना 🤔🤔😊😊
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Fiction hi tha, kapol kalpana
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अभय जी बहुत दिनों बाद भाई अजय जी की वापसी क्राई हमने अब आप भी एक्टिव हो जाइए।
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Waah! Bahut khoob. Main to active hi hoon, haan frequency kuch kam rahegi!
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🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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इन हजारों के भीड़ में हमें भूलना जाना
हम भी तुम्हें कहां बारबार मिलेंगे !!😊
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बहुत खूब 😊
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