Last year I have written something as a tribute to him! This year I couldn’t write anything because I am not in a state of mind to compose anythig. Wishing MSD a happy birthday!
छोटे शहर का छोरा
संसाधनों से भी थोड़ा
न सर पर किसी का हाथ
वह खुद ही अपने साथ
अनजान सफर, अनजान डगर
अनजान गली, अनजान नगर
चुनौतियों के सागर में कई उठते लहर
निश्चित लक्ष्य था सम्मुख मगर
सौम्य स्वभाव, है शांत चित्त
बाधाओं में न कभी विचलित
पाताल की गहराई झांकी उसने
नभ की ऊंचाई नापी उसने
रेल के झंडे को लहराता था
अब तिरंगा फहराता है
निराश हो चुके जीवन में भी
वह संघर्ष के दीप जलाता है
स्वप्न देखना न छोड़ो
वह इसी धुन में गा रहा है
देखो भाई देखो फिर से
माही मार रहा है
……अभय…..
👏👏😊 fabulous
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Thanks Sakshi 🙂
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बहुत बढिया
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Shukriya
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क्या बात भाई। शानदार।👌👌
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Shukariya 😀
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बहुत खूब लिखा है 👌👌
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Shukriya!
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