आज-कल गर्मी अपने चरम पर है और होनी भी चाहिए. समय पर सब कुछ हो तो उचित है. जलवायु परिवर्तन एक सच्चाई है और इसके कारण हम मौसम की अवधि और इसकी तीव्रता में बदलाव को सहज ही अनुभव सकते हैं. आपके उधर का मौसम कैसा है?
गर्मी का मौसम, शाम को दो चार दोस्तों का जमावड़ा और गन्ने के रस की दुकान, क्या जबरदस्त मिश्रण है. आपको नहीं लगता? कल रविवार था और लगभग कुछ ऐसा ही संयोग बना. जहाँ हम रुके उस गन्ने की दुकान को एक महिला चला रहीं थी. पास ही में उसके दो बच्चे खेल रहे थे. एक आठ-दस साल का होगा. उसका काम ग्लास में भरे गन्ने के रस को उचित ग्राहक तक पहुँचाना था और ख़ाली गिलास को वापस ले जाना था. दूसरा शायद उससे छोटा हो, पर पक्का पक्का नहीं कह सकता.
गन्ने का रस, उसमें पुदीने के पत्ते का मिश्रण और बर्फ की छोटी-छोटी सिल्ली. मैं फिर गिलास नहीं गिनता हूँ और खास कर तब जब कि पैसे देने की बारी अपनी न हो. कल ऐसा ही सुअवसर था.
दोस्तों के बीच बातें शुरू हुई. IPL की. राजनीति की. देश की अर्थव्यवस्था की. पेट्रोल के बढ़ते दामों की. एक मित्र ने Bollywood को बीच में घुसेड़ना चाहा. बाकि बचे हुए लोगों ने उसको जबरन चुप करवा दिया. मेरी भी मौन स्वीकृति थी.
बीच-बीच में गन्ने के रस आते रहे और निर्बाधित रूप से पेट में जाते रहे. इसी बीच वो दोनों छोटे बच्चे आपस में लड़ लिए. वजह पता नहीं और उस उम्र में वजह होती भी है क्या? मेरी दृष्टि एक बार उन दोनों की तरफ गयी पर मेरे एक मित्र ने मेरे पसंदीदा राजनितिक दल पर लांछन लगाना शुरू किया. मैं राजनितिक दृष्टि से काफी संवेदनशील (politically sensitive) हूँ. अपने ध्यान को उन बच्चों से खींचकर अपने पसंदीदा राजनितिक दल के बचाव में तर्क प्रस्तुत करने में लगा दिया. राजनितिक बहस की मर्यादा को कायम रखते हुए हमारी आवाज़ अंग्रेजी के एक प्रसिद्ध समाचार चैनल के वक्ता के सामान तीखी हो चली. दुकान को चलाने वाली महिला के हाव भाव को देखकर यह लग रहा था कि शायद उसे हमारा उसके दुकान पर बहस करना पसंद नहीं आ रहा था. पीछे से दोनों बच्चों ने हमसे प्रेरणा लेकर और भी सक्रिय हो गए और जम के लड़ने लगे.
तभी आयी झन्नाटेदार आवाज़. जूस की दुकान वाली ने अपने बड़े बेटे के गाल पर रसीद कर दी एक जोरदार थप्पड़. उनकी लड़ाई ख़त्म. हम लोग आपस में एक दूसरे को देखने लगे. हमारी बहस जो ध्वनि की चोटी (highest pitch) पर पहुँच गयी थी, वो भी ख़त्म.
हम यह सोचने लगे कि ये तमाचा कहीं हमारे लिए ही प्रतीकात्मक (symbolic) रूप में तो नहीं था. हमारी चुप्पी तो यही बयां कर रही थी कि महिला अपने उद्देश्य में सफल रही. मैंने अपने एक मित्र (जिसकी आज पैसे देने की बारी थी) के तरफ इशारा करके पैसे बढ़ाने और वहां से खिसकने का संकेत किया. मेरे मित्र ने भी संकेत को भली भांति समझा.
कुछ सेकंड की चुप्पी के बाद वह बच्चा अचानक से रोना शुरू कर दिया. उसके स्वर की ऊंचाई काफी ज्यादा थी. अपनी माँ की तरफ देखकर वह फूट-फूट कर रोने लगा. आँखों से आँसू गिर रहे थे और वह अपने अलाप में “माँ-माँ” शब्द को दुहरा रहा था. (अब उसके रोने को मैं शब्दों में कैसे बयां करुँ, आशा है आप कल्पना कर पा रहे होंगे )
मेरे दोस्त ने पैसे बढ़ाये. मेरा ध्यान रोते हुए बच्चे पर टिका रहा. सच कहूँ, आप किसी से कहना मत, बचपन में मेरी भी खूब धुनाई हुई है पर हाँ, मुझे इस बात को कोई घमंड नहीं है. 😝 पापा से भी और माँ से भी. बराबर की कुटाई. पर अब जब हम तीनों कभी इस विषय पर बात करते हैं तो तीनों के बीच इस विषय को लेकर काफी विवाद रहता है. मैं कहता हूँ आप दोनों ने मुझे बराबर कूटा है. पापा कहते हैं कि मैंने नहीं, मम्मी ने ज़्यादा मारा, माँ कहती है कि पापा ने. इस विवाद का, कश्मीर मुद्दे के सामान, आज तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. अब मैंने भी इस मुद्दे पर बात करना छोड़ दिया है. अंग्रेजी में कहे तो अब embarrassing लगता है.😀
ख़ैर वापस उस बच्चे पर. वो लगातार अपने विलाप में अपनी “माँ” को ही स्मरण कर रहा था. दोस्त ने पैसे दिए और हम आगे निकल गए पर मैं वही सोचता रहा कि बच्चे को उसकी माँ ने ही पीटा पर वह उन्हीं का नाम लेकर क्यों रो रहा है?
मैंने कई बार बच्चों में यही प्रवृति देखी है. ऐसा नहीं है कि बच्चे सिर्फ माँ से पिटाई खाते हैं. वो स्कूल में शिक्षकों से पीटते हैं, पर रोते समय वो अपने शिक्षक का नाम नहीं लेते, या दोस्तों से पीटने के बाद “दोस्त-दोस्त” कर नहीं रोते.
मैं निष्कर्ष पर निकला कि माँ का सम्बन्ध इन्हीं कारणों से भिन्न हैं. वो धुलाई भी करेंगी, खुद भी रोयेंगी, रुलायेंगी भी और हमें मन को शांत करने के लिए अपने नाम को बुलाने पर मजबूर भी करेंगी. ये माँ लोगों की भी अजीब प्रजाति होती है. आपको नहीं लगता ?
P.S. इस लेख को मैंने पहले अंग्रेज़ी भाषा में लिखा, पर मज़ा नहीं आ रहा था कारण की परिवेश देसी था। आशा है आपको पसंद आया हो, तो अपने विचारों को कमेंट के माध्यम से साझा करना न भूलें।
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