
आम का टिकोला
आज घर लौटते वक़्त
आम का एक टिकोला
सीधे आकर सिर पर गिरा
याद है मुझे , बचपन में
न जाने कितने पत्थर
उन टिकोलों को
तोड़ने के लिए उछाले होंगे,
और एक भी अगर टूट कर गिर जाये
तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता था.
पर आज खुद से गिरे टिकोलों को छोड़
ख़ुशी को कहीं और तलाशने के लिए आगे बढ़ा,
वह ख़ुशी वहीं जमीन पर पड़ी रही…..
नोट: टिकोले को कई जगह हिंदी में कैरी भी कहते हैं , मेरे ग्रामीण परिवेश में टिकोले के नाम से ही जाना जाता है
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