
जी लें आज को…
डूबे हो क्यों अतीत में ,
फिर से आता क्या वो कल है!
हँसना तुम आज में सीख लो
जो है बस यही पल है..
कल हुए सफल तो उसका
कब तक तुम जश्न मनाओगे
या किसी बिगड़ी बातों से हो आहात
कब तक अश्क़ बहाओगे
जो बीती सो बात गयी
कब आगे को कदम बढ़ाओगे
आज में , हर-रोज उभरते हैं प्रश्न नए
हर दिन मिलता उनका हल है!
हँसना तुम आज में सीख लो
जो है बस यही पल है..
कभी अतीत से निकल भविष्य में
खुद को हम ले जाते
मन मुताबिक सुन्दर सा
सपनों का महल सजाते
पर दिवा स्वपन तो व्यर्थ है होता
न ही मिलता उससे कोई फल है
जो है केवल पुरुषार्थ आज का
होता इसमें ही बल है!
हँसना तुम आज में सीख लो
जो है बस यही पल है..
वर्तमान में रह कर ही तो
मंज़िल कइयों ने पायी है
जीवन रूपी इस नैय्या ने
जाने कितने सागर पर लगायी है!
बीते हुए कल को छोड़ो
भविष्य में क्या होगा! इससे मुह मोड़ो
अनुभव करो इस वर्तमान को
पीकर देखो, होता इसका मीठा कितना जल है
हँसना तुम आज में सीख लो
जो है बस यही पल है..
………अभय………
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