
ये वही जमीं है
जहाँ कल तुमने
मेरे साथियों की
लाशें बिछा दी थीं
और सोचा था कि
हम टूट जायेंगे
बिखर जायँगे
डर जायेंगे
लो मैं आज फिर से खड़ा हूँ
सीना ताने
विलाप का भी समय नहीं है
रोने की भी चाहत नहीं
मैं साहस हूँ
मैं पुरुषार्थ हूँ
मैं निडर हूँ
मैं अजेय हूँ
मैं अभय हूँ
तुम बुजदिल थे
तुम कायर थे
तुम नफ़रत थे
तुम घिनौने थे
साहस नहीं कि
तुम प्रत्यक्ष लड़ो
तुम हारे हो
सारे अश्रुधार मैं पी गया
हाँ मैं फिर से जीत गया
.......अभय .......
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