
सनातन धर्म में चार युग बताये गए हैं. सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग. अलग-अलग युगों में ईश्वर प्राप्ति की अलग अलग विधियों का वर्णन है. सतयुग में ध्यान, त्रेता में यज्ञ, द्वापर में अरचा विग्रह(मूर्ति पूजा) और इस कलयुग में यदि भव सागर को पार करना है, तो भगवान का नाम ही एक मात्र उपाय है.
भगवान के अनन्त नाम हैं, और हर नाम का कोई अर्थ. मैं उन नामों को देख रहा था और सोचा कि क्यों न इनको एक स्वर दिया जाये. पढ़िए और भगवान का स्मरण कीजिये.
अनन्त नामों में से कुछ…
केशव माधव मदन मुरारी
दयानिधि द्वारकाधीश बिहारी
यशोदानंदन मदनमोहन
देवकीनंदन घनश्याम
मुरलीधर श्याम मनोहर
मधुसूदन बलराम
विश्वरूप वासुदेव विश्वनाथ
जगद्गुरु जयन्ताह श्रीजगन्नाथ
लक्ष्मीकांत कंजलोचन
कमलनयन श्रीराम
अचल अजन्मा आदिदेव
पद्महस्ता परमपुरुष हिरण्यगर्भ
कृष्ण कन्हैया गोवर्धनधारी
मधुसूदन हरी मुरलीधारी
……….अभय………..
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