दूसरी तरफ से …(कविता )

दूसरी तरफ से…….

दिल में बोझ लिए मैं
भटका इधर उधर
सोचा, कोई तो मिलेगा,
पुछेगा,
क्या हाल है मेरा
हूँ क्यों जर्जर पतझर सा
किस अवसाद ने घेरा
बंटेगा दर्द दिल का तो
मन, सुकून पायेगा
इस अनजान सी नगरी में
कौन जाने,
कोई अपना मिल जायेगा

बीते बरसों
कोई मिला न मुझको
पर मिली एक सच्चाई थी
हर किसी के दिल के अंदर
दर्द भरी इक खायी थी
फिर वो क्या किसी कि मदद करते
जो थे अकेले में आहें भरते

तो मैंने सोचा कि
चलो एक काम करते हैं
उनके ही दर्द बांटकर
कुछ अपने नाम करते हैं
यूँ ही चलता रहा फ़साना
कटते रहे दिन
भूल गया मैं कि
अपना कष्ट क्या था
उनके दर्द बाँटने का
अपना ही मज़ा था

……..अभय……

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अपनी राह ..

 

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अपनी राह..

 

राहों को अपनी, मैं खुद ढूंढ लूंगा
बन पथप्रदर्शक तुम, मुझे न उलझाओ||

मेरे उम्मीदों को अब, पर जो लगें है
अपनी आसक्तियों की, न जाल बिछाओ||

कष्टों का पहाड़ सीधे सिर पर सहा है
राह के रोड़ों से तुम, मुझे न डराओ||

सच है जो कड़वा, मैंने खुद चख लिया है
उसपर झूठ की मीठी तुम, परत न चढ़ाओ||

मंज़िल है मुश्किल औ’ लंबा सफर है
जो बीच में हो जाना, शुरू से साथ न आओ||

ज्ञान की दीपक अब जो जली है
अपने आंसुओं से उसे न बुझाओ||

जाना जहाँ है, राहों में कांटे बिछे हैं||
मेरे लिए अभी फूलों की हार न लाओ||

निराश लोगों की लम्बी पंगत लगी है
सांत्वना भरे गीत तुम, उन्हें ही सुनाओ||

नम्रता में मैंने जीवन है जीया
मेरे खुद पे भरोसे को, मेरा अहम् न बताओ||

………..अभय…………

 

 

शब्द सहयोग: पथप्रदर्शक: Guide; पर: Wings; रोड़ों: Pebbles; आसक्ति: Attachment; पंगत: Queue,  Line ;

नम्रता : Humility ;  अहम् : Ego ; सांत्वना: Sympathy; Condolence, Console.