जो भी भारतीय हैं, उनके मन में अपने सैनिकों के लिए अपार सम्मान होता है. युद्ध हो, आपदा आये, सैनिक ही रक्षक बनकर आते हैं. हाल ही के समय में सेनाओं पर हमले की खबर काफी ज़्यादा सुनने को मिल रही है. मन आहात था. कुछ पंक्तिया लिखीं, आप सब तक बढ़ाता हूँ. आप अपनी प्रतिक्रिया मुझ तक पहुंचाइए..
सैनिक मन
सेनाओं के मन में
ऐसे भाव कहाँ से आते हैं
जान हथेली पर रखकर भी वो
भारत की लाज बचाते हैं
उनके भी अपने होते हैं
बच्चे भी रोते हैं
मातृभूमि की रक्षा को जब वो
रणभूमि पर होते हैं
अश्रुपूर्ण नयन से पूछती संगिनी,
वापस कब तुम आओगे
कब पुत्र, पिता और पति का
अपना धर्म निभाओगे
हल्की सी मुस्कान लिए मुख पर वह कहते
मैं वापस आऊंगा
राष्ट्रधर्म है पर्मोधर्म:
पहले इसको मैं निभाउंगा
युद्ध हमें भी अच्छा नहीं लगता
बर्बरता की निशानी है
पर अगर शत्रु जो आँख दिखाए
सोयी नहीं जवानी है
…….अभय …….