मुट्ठी भर रेत
शीशे के पात्र में संचित
रेत तुम्हारा जो रखा था
वह धीरे धीरे बह रहा
कुछ-कुछ तुमसे शायद वो कह रहा
क्या तुम भी उसे सुन रहे ?
इस शीशे के पात्र का
आकार अलग हो सकता है
इसमें संचित रेत की मात्रा
भी असमान हो सकती है
क्या तुम्हें अपने बचे रेत का अनुमान है?
इस शीशे के पात्र को तुम
मनमर्जी से पलट नहीं सकते
यह ऐसा खेल है जिसके नियमों को
सुविधा से तुम बदल नहीं सकते
क्या तुम इसके नियमों में ढल पाए ?
इस शीशे के पात्र में रखा रेत जो
एक बार पूरी तरह बह जाए
मन में दबी आशा अपेक्षा
सदियों तक मलबे में ही रह जाए
क्या तुम हिस्से की रेत के संग न्याय कर पाए ?
……….अभय……….
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