सहानुभूति नहीं चाहिए

दुनियाँ विविधताओं (diversity) से भरा पड़ा है. लोगों के कई प्रकार मिल जायेंगे. पर मैं आज एक विशेष जमात के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिखीं हैं, जो सर्वव्यापी (ubiquitous) होते हैं . वो हैं सांत्वना या सहानुभूति (Sympathy or condolence) देने वाले लोग. मैं यह नहीं कह रहा कि सहानुभूति देना गलत बात है, ना ना यह बेहद जरुरी पक्ष है और कई बार आपको यह अवसाद (depression) की खायी में से खींच  ले आता है . पर, कई लोग इसे अपना जन्मसिद्ध अधिकार (birthright) समझ लेते हैं. वो इसलिए सहानुभूति नहीं देते की आपका मन हल्का हो बल्कि, उनका उद्देस्य कटाक्ष (insinuate/taunt) करना या आपको दोषी अनुभव कराना होता है. पढ़िए और मुझ तक अपनी राय पहुँचाना मत भूलिए….

सहानुभूति नहीं चाहिए

अगर आना हो तो
संग हो आइये
पर आपकी सहानुभूति
मुझे नहीं चाहिए
मैं चलूँगा
मैं बढूंगा
अंगारों पर दौडूंगा
नदियां लांघूँगा
पर्वत फानूंगा
ठेस लगेगी
तय है कि गिरूंगा
पर कोई बात नहीं
मैं फिर संभलूँगा
फिर से चलूँगा
मन करे तो अपने हाथों को
मेरे सिर पर फेर जाइये
पर आपकी सहानुभूति
मुझे नहीं चाहिए

……..अभय ……..