Hello Everyone!
I clicked this pic two days ago. Later when I was revisiting it, multiple thought came to me. Such as value of Unproductive Tree, Helpless Old Age etc.
You let me know what came to your mind when you see it for the first time.
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Yesterday night we had a heavy Pre-Monsoon shower, here in my city. Morning too was cool and overcast, something which I love. I planed a ride in my city along with one of my friend and clicked some images of nature all along my journey. All the photos were clicked by my phone camera. Hope you would also enjoy it.
आज मन थोड़ा उदास है. सामान्य दृष्टि से देखें तो इसका कारण कोई विशेष और व्यापक नहीं है. हुआ यूँ कि घर में निर्णय लिया गया कि घर का विस्तार किया जायेगा, ऊंचाई बढ़ाई जाएगी . इसकी आवश्यकता भी महसूस हो रही थी, सिर्फ इसलिए नहीं कि हमारा परिवार संयुक्त है पर इससे बड़ा कारण कि घर के आस पास भी लोगों का घर ऊँचा हो रहा है. दुनियाँ दिखावटी है, और हम भी इसके अपवाद नहीं हैं.
मैं इसलिए उदास नहीं कि घर का विस्तार हो रहा है, बल्कि मेरे बगीचे में लगे अमरूद के पेड़ को काटे जाने की बात हो रही है. वह पेड़ इंजीनियर द्वारा दिए गए प्लान में फिट नहीं बैठ रहा है, उसका कहना है कि शहर में जगह की बहुत किल्लत है और यह पेड़ अनावश्यक जगह घेरे हुए है. मेरे पापा जी भी इस बात से सहमत हैं और उनका निर्णय ही अंतिम और सर्वमान्य है.
पर चुकी मैं पर्यावरण संरक्षण और पेड़ लगाने की बात हरेक प्लेटफार्म से करता हूँ तो मुझे थोड़ा अफ़सोस हो रहा है. पर पर्यावरण संरक्षण से ज़्यादा मुझे दुःख इसलिए है कि इस पेड़ से मेरा भावनात्मक लगाव सा हो गया है. और इस लगाव का अनुभव मुझे तब हुआ जब इसको काटने की बात सुनी. कई बार जीवन में ऐसा ही तो होता है न कि किसी चीज की महत्ता उसके जाने के समय या जाने कि बाद ही समझ आती है.
यह पेड़ बहुत पुराना है. बचपन में मैं इस पेड़ पर चढ़कर अमरुद तोड़ा करता था और अब भी अमरुद वाले मौसम में सिर्फ मेरे परिवार के लोग ही नहीं अड़ोसी पड़ोसी भी तोड़ते हैं . मुझे यह भी याद है कि इसकी एक शाख पर एक झूला भी हुआ करता था. शाम को स्कूल के बाद तो आस पास के बच्चों का मेला सा लग जाता था. और सिर्फ बच्चों का ही नहीं, बड़े लोग भी इसकी छांव में राजनीती और क्रिकेट के गप्पे लगाया करते थे. इस पेड़ ने नेचुरल अलार्म का भी काम किया, आप सोच रहेंगे कैसे? तो होता यूँ है कि इसपर सुबह सुबह कुछेक पक्षी आकर चहचहाना शुरू कर देते हैं और गर्मी के दिनों में वह आपकी नींद तोड़ने के लिए काफी है. पर मुझे इसका अफ़सोस कभी नहीं रहा क्योंकि मुझे सवेरे उठना पसंद है. इसपर कई बार मैं लाल चोंच वाले तोते भी देखे, मैना भी देखा. पर कौओं ने अपनी संख्या सबसे ज़्यादा होती थी.
इस पेड़ पर एक घोसला भी है, पर अब यह यहाँ नहीं रहेगा. मनुष्य का घोसला ज्यादा जरूरी है, उस घोसले का बड़ा होना भी आवश्यक है. चिड़ियों का क्या है, वो तो उड़ सकती हैं कहीं भी घोसला बना सकती हैं, उनको ईंट, गिट्टी, बालू और सीमेंट भी नहीं खरीदनी होती, तो वो तो मैनेज कर ही लेंगे. पर्यावरण का क्या है, सिर्फ एक पेड़ काटने से ग्लोबल वार्मिंग पर क्या असर होगा? अमरूद के फल का क्या है, बाजार में मिल ही जायेगा, अलार्म की चिंता भी कहाँ है हमारे पास मोबाइल है घडी है और जहाँ तक झूले की बात है वो तो टेरेस पर लगा ही सकती हैं और उससे कहीं अच्छी 😦
मैंने घर में अपनी बात किसी से नहीं कहीं, और कहता भी तो कुछ होने वाला नहीं था. पेड़ का जीवन है ही ऐसा, पत्थर मारो वो फल ही देंगे, कुल्हाड़ी से काटो जलावन, फर्नीचर को लकड़ी देंगे, CO2 लेंगे और प्राणवायु देंगे, और पूरी तरह निपटा दो तो वह जगह देंगे……
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