कौन चलकर आएगा..

नदी के इस पार खड़ी वो
ये खुद को, उस पार खड़ा पाता है
न तो वो कोई पुल बनाती है
न ये ही कोई नाव लेकरआता है

सावन अपनी सीमा लांघे
नदियां उफ़ान पर हो चली है
पहले से ही जो दूर खड़े थे
दरमियान उनके और दूरी बढ़ी है ,

देखना है ग्रीष्म जब आएगा
तब, सरिता सूख ही जायेगी
पहला कदम बढ़ेगा किसका
कौन चलकर आएगा

…….अभय ……

35 thoughts on “कौन चलकर आएगा..”

          1. I know Abhay, We Gujaratis add Bhai to every name out of respect, but I want to keep a place where we all are at one pedestal… i know that people like you, Nirant, Abhijeet, Nimish even if you call me Ameet, do respect me…

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  1. जीने के कई ठिकाने मरने के एक लाख बहाने।
    कल सूखा था फिर भी इंतजार
    अब किनारे दिखते नहीं,
    मगर अब भी इंतजार।

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