तुम होते हो वही, जो तेरे मन में चलता है
फिर न जाने क्यों ये मन तेरा, पल-पल बदलता है
लक्ष्य दुर्लभ है, पता है.. विपदाओं के बादल भी घने हैं
आशंकाएं कैसी? संदेह कैसा? जब संग स्वयं जनार्दन खड़े हैं
तुम होते हो वही, जो तेरे मन में चलता है
फिर न जाने क्यों ये मन तेरा, पल-पल बदलता है
लक्ष्य दुर्लभ है, पता है.. विपदाओं के बादल भी घने हैं
आशंकाएं कैसी? संदेह कैसा? जब संग स्वयं जनार्दन खड़े हैं
बहुत हि बेहतरीन💐😊
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धन्यवाद🙏
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Koi sndeh nhi 😊🙏
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Kya baat! Half the job is done.
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😊
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Very well written.
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Thanks sir!
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very welll written👌👌👌
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Thanks you
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your welcome😊😊
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आज जनार्दन भी मौन हैं!
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क्या हुआ भाई?
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सच हैं कि जनार्दन मेरे संग हैं,
मगर जिसे बनाया उसे देख आज वे भी मौन हैं।
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जब हम उन्हें गौण कर देते हैं
चुप्पी साध वो मौन धर लेते हैं
अर्जुन सम शरणागत हम हो जाएं
बन सारथि वो रथ भी हाँक लेते हैं
🙏🙏🙏
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वे मौन हैं मग़र उनपर सन्देह कहाँ है,
भटक तो मैं ही गया हूँ,
अपनी ताकत पर कल रावण भी गुर्राया था,
दुर्योधन भी संख्या बल पर अपने इतराया था,
आज पुनः वही अहम का बादल मंडराया है,
उसे मिटाना होगा,
हाँ हाँ
एक बार पुनः उन्हें अपना स्वरूप दिखाना होगा।
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🙂
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बहुत ही अच्छा पोस्ट। कम शब्दों में बेहतरीन अर्थ। जब तक विपदाओं के बादल है तब तक जनार्दन के साथ होने का भान नहीं होता यदि धैर्य रुपी विश्वास साथ हो तो न संदेह होगा न आशंकाएं होगा तो केवल विश्वास और लक्ष्य साधने की आशा।
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Ji bilkul! Bahut achhe se aapne vicharon ko rakha!
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अब मेरे ब्लॉग पर तो पढ़ने से रहे आप मेरे विचार तो कमेन्ट से ही सही। हा हा हा हा
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कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारे और बतायें मेरे बुक “जिंदगी के एहसास” का कवर डिजाइन कैसा है मुझे खुशी होगी।
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Waah Kya baat hai! Zaroor Dekhunga! Thodi vyastata rehti hai bas aur koi baat nahi!
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