कल देश गणतंत्र दिवस मनायेगे, मनाना भी चाहिए. देश कैसे चलेगा, यह निर्णय तो आज ही के दिन 1950 में लिया गया था. कल नेताओं का भाषण होगा, पर सोचता हूँ, क्या देश के हर व्यक्ति के घर में रात का राशन होगा? अरे छोड़िये साहब, क्या हर एक व्यक्ति का अपना घर भी है? राजपथ पर जो परेड होगी, झांकियां निकलेगी, जब लोग उन्हें अपने टेलीविजन पर देखेंगे, तो उसकी चकाचौंध में यह प्रश्न निश्चय ही कहीं खो जायेगा. खैर एक बात तो तय है, लता दीदी की “ऐ मेरे वतन के लोगों….”, जो भावुक हैं और राष्ट्रभक्त भी, उन्हें आज भी वैसे ही रुलायेगी…
मैं अंग्रेजी के एक प्रसिद्ध लेखक (नाम नहीं लूंगा, भारतीय ही हैं) का लेख पढ़ रहा था. वो राष्ट्रीयता को अपने हिसाब परिभाषित करने में लगे हुए थे. लेख पढ़के गुस्सा भी आया और हताषा भी हुई, कि लेखक देश को यूरोप और अमरीका के चश्मे से क्यों देखता हैं? क्या हम, देश को परिभाषित करने में सक्षम नहीं हैं?
देश की वर्तमान परिस्थिति पर सोचते सोचते कलम उठाया, कुछ पंक्तियाँ लिखीं, कविता कहूँ या नहीं आप तय कीजिये और बताइये कैसी लगी…

देश भक्तों की टोली चली है
हर तरफ ये नारा है
हिन्द सागर से हिमालय तक
पूरा भारत हमारा है
चुनौतियों से भरा पहर है
देशद्रोही सभी मुखर हैं
“अफ़ज़ल” “अज़मल” को हैं शहीद बताते
और सेना पर पत्थर बरसाते
इनमें से कुछ तो खुद ही को
बुद्धिजीवी हैं बतलाते
और, भारत माता की जय कहने पर
वे अपना मुख हैं बिचकाते
पर, उनपर जब हम प्रश्न उठाते
तो वे “असहिष्णु” “असहिष्णु” चिल्लाते
फिर लाइन लगाकर वे
“अवार्ड वापसी” को लग जाते
वे “पांच-सितारा” होटल को जाते
और जनता को गरीबी की पाठ पढ़ाते
चुनाव जितने के खातिर
हम जाती धर्म पर बांटे जाते
देशभक्तों को जगना होगा
एक स्वर में कहना होगा
जिसे भारत में रहना होगा
भारत की जय कहना होगा
देर बहुत अब हो चुकी
बांग्ला और पाक जन्म ले चुकी
और नहीं लूटने देंगे
देश और नहीं टूटने देंगे
देश भक्तों की टोली चली है
हर तरफ ये नारा है
हिन्द सागर से हिमालय तक
पूरा भारत हमारा है
………अभय………
शब्द सहयोग:
मुखर : Vocal, Vociferous or Outspoken.
असहिष्णु : Intolerant
बुद्धिजीवी : Intellectuals
Time to rethink….
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Indeed
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साल में कम से कम हम दो बार तो देशभक्ति के गाने सुन पाते हैं लेकिन इन अवसरों पर होने वाले कार्यक्रम को अंग्रेजी भाषा मे ही संचालित कराते है।कम से कम इन अवसरो पर तो मातृभाषा का सम्मान करना बनता है।बहुत अच्छा लिखा है आपने👍
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शत प्रतिशत सहमत हूँ आपके कथनों से। धन्यवाद, कि आपको पसंद आया ☺️
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poora bharat humara hai.. Hum hindustani hai, hum sab ek hai..
very beautiful poem.. thank you..
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Thank you so much 😊
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सटीक और शानदार पोस्ट , करारा प्रहार किया है आपने देशद्रोहियो के खिलाफ ! शानदार कविता और अच्छा सन्देश 👍 सराहनीय 💐
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आशा है कि यह संदेश उन तक भी पहुंच जाए। 😀
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देर बहुत अब हो चुकी
बांग्ला और पाक जन्म ले चुकी
और नहीं लूटने देंगे
देश और नहीं टूटने देंगे
शानदार 👍👍👍👍👍👍👍💐🙏
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धन्यवाद भाई 🙏
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स्वागत है आपका 💐
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Abhay you nailed it… Really I feel the emotions you share here… Indeed “hind se himalya tak poora desh humara h”
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Thanks Monika, Jai Hind.
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Jai Hind!
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bahat hi acha laga pad ke
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Dhanyavad Bhai
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