
यदि आपका चुना हुआ रास्ता “सत्य-आधारित” है, तो उसपर बढ़ते रहिये. कोई साथ आये न आये. पहचान मिले न मिले. सम्मान हो न हो. कष्टों का अम्बार क्यों न लगे. रुकिए मत.
मगर यदि आपका चुना वही रास्ता झूठ और फरेब की बुनियाद पर टिका हुआ है, तो आपकी हार भी निश्चित होनी ही चाहिए और हो कर रहेगी. हार और जीत सापेक्षिक (relative) है, वरन सत्य शास्वत(eternal) है. वह मार्ग जो सत्य के विपरीत है, उसपर चलने से यदि आपको सफलता मिलती है तो समाज के लिए यह घातक है. न्याय और नीति से लोगों का विश्वास उठेगा. नैतिकता प्रशांत सागर (Pacific Ocean) के गर्त में जा गिरेगी.
अब प्रश्न यह उठेगा कि सत्य क्या है और और असत्य क्या? यह कौन तय करेगा?
मैं आपसे पूछता हूँ, कि क्या आप नहीं जानते कि सत्य क्या है? क्या जब आपने असत्य के मार्ग को पहली बार चुना था तो आपकी अंतरात्मा ने आपको नहीं झकझोरा था? आप जितने दफ़े अंतरात्मा की आवाज़ को दबाएंगे, धीरे धीरे उसकी आवाज़ दबती चली जाएगी और अंत में हो जाएगी मौन.
सत्य को समझकर, असत्य को प्रारम्भ में ही तिलांजलि दे दीजिये. फिर अंतरात्मा की आवाज़ और प्रगाढ़ होगी.
और लोगो से सुना भी है कहते हुए कि “अंतरात्मा की आवाज़ में ही परमात्मा की आवाज़ होती है“
just awsome👌
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Thanks 😊
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your post of listening to inner voice is exemplary. God lives within and your explaination of this Truth is simply wonderful.
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Thanks so much Sir, for your kind words. 🙏
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सत्यम परम धीमहि
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अथातो ब्रह्म जिज्ञासा 🙏
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An ideal crux!
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Thanks
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सही बात है
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शुक्रिया
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Simple truth, simply wonderful 🙂
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Well, sometime to be simple becomes one of the most complex phenomenon. ☺️
Thank you
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I agree, specially when simplicity has lost it’s value.
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Yes Moushmi! It’s true. Thanks for visiting the post.
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satya vachan Abhay ji bahut khub
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शुक्रिया भाई!
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बहुत सही… सत्यमेव जयते
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Bilkul, Truth shall Triumph. Thanks for visiting the post.
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बेहतरीन
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शुक्रिया 🙏
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सच को बहुत अच्छी तरह से लिखा है और प्रेरणादायक लेख भी है। बहुत खूब अभय जी।
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शुक्रिया 😊
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शानदार लिखा —-डबल धमाका बहुत दिनों बाद देखने और पढ़ने को मिला लाजवाब। मेरे तरफ से भी आपको समर्पित—-
हम मुसाफ़िर सफर जिंदगी का,राह मे थे खड़े,
दूर मंजिल मगर रास्ते दो, थे कदम रुक गए।
सत्य का एक डगर,राह काँटों भरा,
चाह मंजिल मगर मुश्किलों से भरा,
दूजा आसान मंजिल नजर आ रही,
छल कपट से भरी ज्ञान सिखला रही,
छल से मंजिल बहुत जल्द मिल जाएगी,
सत्य कांटो में जीवन को उलझायेगी,
हम तजे सत्य जीवन बिफल जाएगा,
वह बुलंदी हमें खूब तड़पायेगा,
सत्य कांटो भरा पर सुकूँ दिख रहा,
झूठ की राह में दिल भी खबरे रहा,
आत्मा साथ है साथ परमात्मा,
सत्य की राह में फिर मिलेगा जहां,
बुद्ध भी थे अकेला अडिग सत्य पर,
राम भी चल पड़े थे उसी राह पर,
सत्य हरिश्चन्द्र की सत्यता याद है,
मोरध्वज भक्त की सब कथा याद है,
मन को झकझोरता आत्मा,राह में क्यों खड़े,
दूर मंजिल मगर रास्ते दो, सत्य पर चल पड़े।
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👏👏👏
जोरदार है भाई. सराहनीय रचना, मजा आ गया पढ़ के
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