ओह! ये प्रश्न!!!
मैं चुप हूँ
इसलिए नहीं कि
पूछने को पास मेरे
कोई सवाल नहीं है
सोचता हूँ
अगर कहीं जो
सवाल कोई मैं पूछ गया
तो तुम
जवाब कहाँ से लाओगे?
मनगढंत उत्तर के सघन वन में
कहीं तुम लापता तो न हो जाओगे
या किसी बहरूपिये का भेष धरकर
मेरे सामने आओगे
फिर मेरी नज़रों से खुद को
न छुपा पाओगे
और निरुत्तर हो जाओगे
पर निरुत्तर तुम्हे देखकर
शर्मिंदगी मुझे होगी
कि जानकर भी
ये प्रश्न मैंने क्यों पूछा
बेहतर यही होगा कि
मैं, मेरे मन के
सवाल की स्याही को
सूख ही जाने देता हूँ
कि सुना है, समय की कोख में
कई प्रश्नो के उत्तर
स्वतः जन्म लेते हैं
…….अभय…..
लाजवाब अभय जी—-जोरदार —-दिल मे अनगिनत भाव आ गए ।वाह,वाह।
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रचना सफल हुई 🙏🙏
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🙏🙏🙏
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Really happens. The questions remain questions, not being asked……Interesting poem Abhay!
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Thanks Radhika ji for connecting with it.
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वाह जी वाह
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कि सुना है समय की कोख में कई प्रश्नों के उत्तर स्वतः ही जन्म लेते हैं।वाली लाईन तो लेखनी से लिखने वाले को बहुत प्रश्न और उत्तर दोनों दे रहे हैं। पर फिर भी अपने मन रूपी स्याही को सूखने मत दीजिए नहीं तो हम लोग पढेंगे कैसे?
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वैसे बहुत ही अच्छा लिखा है मुझे बहुत कुछ इस कविता से सीखने को मिला। धन्यवाद अभय जी शेयर करने के लिए। मेरी भी लेखनी की स्याही सूख ही गई है इसलिए लिखना छोड़ दिया। पुराने पोस्ट दोबारा पब्लिश कर देती हूँ।
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I lack skills in Hindi. I loved it☺️
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And I have a post about questions too. I would like your insights.☺️
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Will check it. ☺️
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Thank you ☺️
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☺️
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Could you please send me the URL.
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In my view, Literature is not about skills only, emotions matters most and its presentation in simplest of way. Thanks for liking itm
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Right I totally agree, what I meant was I like to read Hindi literature, but I can’t write.
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