दुनियाँ विविधताओं (diversity) से भरा पड़ा है. लोगों के कई प्रकार मिल जायेंगे. पर मैं आज एक विशेष जमात के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिखीं हैं, जो सर्वव्यापी (ubiquitous) होते हैं . वो हैं सांत्वना या सहानुभूति (Sympathy or condolence) देने वाले लोग. मैं यह नहीं कह रहा कि सहानुभूति देना गलत बात है, ना ना यह बेहद जरुरी पक्ष है और कई बार आपको यह अवसाद (depression) की खायी में से खींच ले आता है . पर, कई लोग इसे अपना जन्मसिद्ध अधिकार (birthright) समझ लेते हैं. वो इसलिए सहानुभूति नहीं देते की आपका मन हल्का हो बल्कि, उनका उद्देस्य कटाक्ष (insinuate/taunt) करना या आपको दोषी अनुभव कराना होता है. पढ़िए और मुझ तक अपनी राय पहुँचाना मत भूलिए….
सहानुभूति नहीं चाहिए
अगर आना हो तो
संग हो आइये
पर आपकी सहानुभूति
मुझे नहीं चाहिए
मैं चलूँगा
मैं बढूंगा
अंगारों पर दौडूंगा
नदियां लांघूँगा
पर्वत फानूंगा
ठेस लगेगी
तय है कि गिरूंगा
पर कोई बात नहीं
मैं फिर संभलूँगा
फिर से चलूँगा
मन करे तो अपने हाथों को
मेरे सिर पर फेर जाइये
पर आपकी सहानुभूति
मुझे नहीं चाहिए
……..अभय ……..
Excellent..Bahot hi khoobsurat likha hai
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Thank you Ravindra ☺️
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Beautiful !
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शुक्रिया 🙂
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अमल करने वाली बात है
Thanks
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शुक्रिया 😀
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तय है कि गिरूंगा
पर कोई बात नहीं
मैं फिर संभलूँगा
फिर से चलूँगा……..बेहतरीन मार्गदर्शन—-
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शुक्रिया मधुसूदन जी 🙏
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सहानुभूति हमें कमज़ोर महसूस कराती है, कई बार मेरे साथ ऐसा हुआ, तब से मुझे सहानुभूति दिखाने वालों लोगो से कहु तो नफरत सी हो गई है।
बहुत बढ़िया लिखा आपने👏👏👏
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शुक्रिया मुकांशु भाई, खुशी हुई कि मेरा संदेश आप तक सही सलामत पहुंचा!
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जी बिल्कुल सही सलामत पहुँचा😊😊
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😁
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Bhut khoob
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बिल्कुल सही बात है आपकी अभय जी 👍
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शुक्रिया अजय जी 🙏
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बहुत प्रेरक कविता –
आपकी सहानुभूति
मुझे नहीं चाहिए…..
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शुक्रिया रेखा जी, प्रोत्साहन तो चाहिए 😊
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😊😊😊
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बहुत बहुत अच्छा।
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शुक्रिया गौरव जी 🙏
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Well written.Sometimes when people sympathise,it really makes the listener feel obnoxious.We should all learn to empathise rather than sympathise.
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Very well summarized. 👍
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My Pleasure!:-)
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बहुत ही अच्छा लिखा है आपने अभय जी। पढकर बहुत अच्छा लगा। हंसाने के लिए व्यंग्य कर रही हूं सहानुभूति नहीं अपने से बड़ों का आशीर्वाद तो चाहिए न।
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धन्यवाद रजनी जी ☺️ लगता है आपने मेरी कविता की आखिरी चार पंक्तियों पर विशेष ध्यान नहीं दिया, दुबारा पढिये शायद आपकी आशंका दूर हो जाए 😀
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आपकी ये कविता मुझे अपने पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही है।
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अच्छा लिखा है आपने। पर कभी कभी हमे किसी से सहानुभूति की आस भी तो होती ही है। जरुरी नही की सहानुभूति हमे हर वक्त कमजोर ही बनाए।
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बिल्कुल सही, इसका वर्णन मैंने शुरू में ही किया कि यह पंक्तियाँ विशेष परिस्थितियों और विशेष वर्ग के लोगों के लिए है ☺️
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Beautiful lines!
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Thank you ☺️
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बहुत सुन्दर रचना ।।
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शुक्रिया ☺️
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बहुत खूब
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शुक्रिया अशोक जी!
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Awesome!
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Thank you 😊
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बहुत ही बढिया लिखा है |
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शुक्रिया शुक्रिया ☺️
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